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निमित्तों से जाना और साधुओं को भी सावधान किया, और समाज को भी। वर्तमानकाल में उनके समान सर्वमुखी विद्वान तपस्वी दूसरा कोई नहीं था। अभी मौजूदा आचार्य विमल सागर जी महाराज भी निमित्त ज्ञानी है, जनता उनसे अच्छा लाभ उठा रही है, यह ग्रंथ व्यवहारोपयोगी अच्छा है, इस शास्त्र के ज्ञान से भूत भविष्यत, वर्तमानकाल में घटित व घटने वाली घटना का ज्ञान कर सकते हैं और स्वयं को बचाते हुए दूसरे को भी बचा सकते हैं। इस ग्रंथ की टीका मैंने अपने स्वयं के ज्ञानार्थ की है, हो सकता है छयस्तता के कारण अवश्य ही त्रुटियों रही होगी इसके लिये मेरे से विशेष ज्ञानीजन इसकी त्रुटियों को समझकर ठीक करें, और मुझे क्षमा करें। मैं कोई विशेष ज्ञानी नहीं हूँ। समय के सदुपयोग करने के लिये कागज पेन लेकर यह लेखन कार्य करता रहता हूँ। ग्रंथ की प्रस्तावना भी मैने ही लिख दी है। पाठक अवश्य लाभ उठावे।
गणधराचार्य कुन्थुसागर