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भद्रबाहु संहिता
नक्षत्रके शनि में इंग्लैण्ड, अमेरिका और रूस में आन्तरिक शान्ति रहती है। जापान में अधिक भूकम्प आते हैं तथा अनाजकी कमी रहती है। खाद्य पदार्थों का अभाव सुदूर पश्चिमके राष्ट्रों में रहता है। भरणी नक्षत्र का शनि विशेष रूपसे जलयात्रा करनेवालों को हानि पहुंचाता है। नर्तक, गाने-बजानेवाले एवं छोटी-छोटी नावों द्वारा आजीविका करनेवालों को कष्ट देता है। कृत्तिका नक्षत्र का शनि अग्निसे आजीविका करनेवाले, क्षत्रिय, सैनिक और प्रशासक वर्गके लिए अनिष्टकर होता है। रोहिणी नक्षत्र में रहनेवाला ने उत्तरप्रदेश और पंजाबके व्यक्तियों को कष्ट देता है। पूर्व और दक्षिण के निवासियोंके लिए सुख-शान्ति देता है। जनता में क्रान्ति उत्पन्न करता है। समस्त देश में नई-नई बातोंकी माँगकी जाती है। शिक्षा
और व्यावसायके क्षेत्र में उन्नति होती है। मृगशिर नक्षत्र में शनि के विचरण करने से याजक, यजमान, धर्मात्मा व्यक्ति और शान्तिप्रिय लोगों को कष्ट होता है। इस नक्षत्रपर शनि के रहने से रोगोंकी उत्पत्ति अधिक होती है तथा अग्निभय और शस्त्रभय बराबर बना रहता है। आद्रा नक्षत्र पर शनि के न रहने से तेली, धोबी, रंगरेज और चोरों को अत्यन्त कष्ट होता है, देशके सभी भागों में सुभिक्ष होता है। वर्षा उत्तम होती है, व्यापार भी बढ़ता है, विदेशों में सम्पर्क स्थापित होता है। पुनर्वसु नक्षत्र में शनि के न रहने से पंजाब, सौराष्ट्र, सिन्धु और सौवीर देशों में अत्यन्त पीड़ा होती है। इन प्रदेशों में वर्षा भी अल्प होती है तथा महामारीके कारण जनता को कष्ट होता है। पुष्य नक्षत्र में शनि के रहने से देश में सुकाल, उत्तम वर्षा, आपसी मतभेद, नेताओं में संघर्ष एवं निम्न श्रेणीके व्यक्तियों को कष्ट होता है। पूर्व प्रदेशोंके लिए उक्त नक्षत्र का शनि शान्ति देनेवाला, दक्षिण प्रदेशों में सुभिा करनेवाला, उत्तरके प्रदेशों में धन-धान्यकी वृद्धि करनेवाला, एवं पश्चिम प्रदेशोंके व्यक्तियोंके लिए अशान्तिकारक होता है। उक्त नक्षत्र का शनि सभी मुस्लिम राष्ट्रों में अशान्ति उत्पन्न करता है तथा अमेरिका में आन्तरिक कलह होता है। रूसकी राजनैतिक स्थिति में भी परिवर्तन आता है आश्लेषा नक्षत्र का शनि साँ को कष्ट देता हैं तथा सो द्वारा आजीविका करने वालों को भी कष्ट ही देता है। आश्लेषा नक्षत्र का शनि के रहने से जापान, वर्मा, दक्षिण भारत और युगोस्लोविया में भूकम्प अधिक आते हैं। इन भूकम्पों द्वारा धन-जनकी पर्याप्त हानि होती है।