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भद्रबाहु संहिता
भावार्थ- जब पूर्व, उत्तर, पश्चिम और वायव्य दिशा की सेना को राजा ने जीता हो तो समझो, वह देव के द्वारा ठगा गया क्योंकि थोड़े से समय में ही उसके ऊपर आपत्ति आयेगी ।। २३ ॥
कृत्तिकासु च यद्यार्किविंशाखासु समस्तं दारुणं विन्द्यात् मेघश्चात्र
वृहस्पतिः । प्रवर्षति ॥ २४ ॥
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(कृत्तिकासु च यद्यार्कि) कृत्तिका नक्षत्र पर शनि और (विशाखासु वृहस्पतिः ) विशाखा नक्षत्र पर गुरु हो तो (समस्तं दारुणं विन्द्यात्) समस्त गजह दारुण कष्ट होगा (मेघाश्चात्र प्रवर्षति ) वहाँ पर वर्षा बहुत होगी ।
भावार्थ — यदि कृत्तिका नक्षत्र पर शनि हो और विशाखा नक्षत्र पर गुरु हो तो वहाँ पर महा भय उपस्थित होगा, बहुत वर्षा होगी ॥ २४ ॥
कीटाः पतङ्गाः शलभा वृश्चिका मूषका शुक्राः । अग्निश्चौरा बलीयां सस्तस्मिन् वर्षे न संशय ॥ २५ ॥
इस प्रकार की स्थिति वाले वर्ष में (कीटाः पतत्रा: शलभा) कीट, पतन, शलभ (वृश्चिका मूषका शुक्राः) बिच्छु, चूहा, तोता (अग्निश्चीरा) और अग्नि, चोर आदि ( तस्मिन् वर्षे बलीयांसः) उस वर्ष में बलवान हो जाते है ( न संशय) इसमें कोई सन्देह नहीं है।
भावार्थ — उपर्युक्त स्थिति वाले वर्ष में कीड़े, पतत्र, शुलभ, अग्नि, चोर, बिच्छु, चूहा, तोता आदि बलवान हो जाते हैं, अर्थात् इनका उपद्रव बहुत होता है ॥ २५ ॥
श्वेते सुभिक्षं जानीयात् पाण्डु-लोहित के भयम् ।
पीतो जनयते व्याधिं शस्त्रकोपञ्च दारुणम् ॥ २६ ॥
शनि (श्वेते सुभिक्षं जानीयात्) सफेद रंग का हो तो सुभिक्ष करेगा, (पाण्डु-लोहित केभयम् ) पाण्डु और लोहित रंग का दोनों भय करेगा, ( पीतो जनयते व्याधिं ) पीला हो तो व्याधि उत्पन्न करेगा और ( शस्त्र कोपञ्च दारुणम्) शस्त्र कोप होगा ।
भावार्थ —जब शनि सफेद हो तो सुभिक्ष होगा, पाण्डु और लाल हो तो भय उत्पन्न होगा, पीला हो तो व्याधियाँ उत्पन्न होगी और महान् शस्त्रपात होगा ॥ २६ ॥