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भद्रबाहु संहिता |
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में (प्रसूयन्ति) प्रसूती करते हैं (तदा) तब (तु) तो (षण्मासाद्) छह महीने में (ध्रुवम्) निश्चय से (राजवधो भूयात्) राजा का वध होगा ऐसा कहा है।
भावार्थ-जब पशु माने चार पाँव वालो के गर्भ से पक्षी या मनुष्य की आकृति वाले जीव अथवा मनुष्य के गर्भ से पशु या पक्षी के आकृति वाले जीव पैदा हो तो समझो छह महीने के अन्दर राजा का वध होगा॥१०।।
विकृतैः पाणिवादातचाप्यधिकार जया।
यदा त्वेते प्रसूयन्ते क्षुद्भयानि तदादिशेत् ॥११॥ (यदा) जब (विकृतैपाणिपादाद्यै) विकृत हाथ-पैर वाले (न्यूनैश्चाप्यकैस्तथा) तथा और भी हीनाग व अधिकला वाले (त्वेते प्रसूयन्ते) जीव पैदा करे तो (तदा) तब (क्षुद् भयानिदिशेत्) शुद्र भय होगा समझो।
भावार्थ-जब जीव विकृत हाथ पैर वाले व अधिक या हीन अंग वाली सन्तान पैदा करे तो समझो शुद्र भय उत्पन्न होगा॥११॥
षण्मासं द्विगुणं चापि परं वाथ चतुर्गुणम्।
राजा च म्रियते तत्र भयानि च न संशयः॥१२॥ उक्त घटना जहाँ पर भी घटित हो वहाँ {षण्मासंद्विगुणं) छह महीना या एक वर्ष (चापि) और भी (परं वाथचतुर्गुणम्) व अथवा दो वर्ष के अन्दर (तत्र) वहाँ पर (राजा प्रियते) राजा की मृत्यु होगी (च) और महान् भय उत्पन्न होंगे (न संशय:) इसमें सन्देह नहीं है।
भावार्थ-जहाँ पर भी उपर्युक्त निमित्त उत्पन्न हो तो समझो छह महीनेमें व एक वर्षमें या दो वर्ष में वहाँ के राजा की मृत्यु होगी और महान भय उत्पन्न होंगे॥१२॥
मद्यानि रुधिराऽस्थीनि धान्याऽङ्गारवसास्तथा।
मघवान् वर्षते यत्र तत्र विन्द्यात् महद्भयम्॥१३॥ (यत्र) जहाँ पर (मघवान्) मेघ (मद्यानि) मध्य (रुधिरा) रक्त (अस्थीनि) हड्डी, (धान्याऽजारवसास्तथा) अंगार की चिनगारियाँ, चर्बी आदि (वर्षते) बरसाते है (तत्र) वहाँ पर (महद्भयम् विन्द्यात्) महान भय उत्पन्न होगा।