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भद्रबाहु संहिता
तो भुग है। दाहिनी ओर नारे हुए युग और पक्षी यात्रामें शुभ होते हैं। विषम संख्यक मृग अर्थात् तीन, पाँच, सात, नौ, ग्यारह, तेरह, पन्द्रह, सत्रह, उन्नीस, इक्कीस आदि संख्यमें मृर्गोका झुण्ड चलते हुए साथ दें तो शुभ है। यात्रा समय बायीं ओर गदहेका शब्द शुभ है। यदि सिरके ऊपर दही की हाणी रखे हुए कोई ग्वालिन जा रही हो और दहीके कण गिरते हुए दिखलाई पड़ें तो यह शकुन यात्राके लिए अत्यन्त शुभ है। यदि दहीकी हाण्डी काले रंगकी हो और वह काले रंगके वस्त्रसे आच्छादित हो तो यात्रा में आधी सफलता मिलती है। श्वेतरंगकी हाण्डी श्वेतवस्त्रसे आच्छादित हो तो पूर्ण सफलता प्राप्त होती है। यदि रक्तवस्त्रसे आच्छादित हो तो यश प्राप्त होता है, पर यात्रामें कठिनाइयाँ अवश्य सहन करनी पड़ती हैं। पीतवर्णके वस्त्रसे आच्छादित होने पर धनलाभ होता है तथा यात्रा भी सफलतापूर्वक निर्विघ्न हो जाती है। होरंगका वस्त्र विजयकी सूचना देता है तथा यात्रा करनेवालेकी मनोकामना सिद्ध होनेकी ओर संकेत करता है। यदि यात्रा करनेके समय कोई व्यक्ति खाली घड़ा लेकर सामने आवे और तत्काल भरकर साथ-साथ वापस चले तो यह शकुन यात्राकी सिद्धिके लिए अत्यन्त शुभकारक है यदि कोई व्यक्ति भरा घड़ा लेकर सामने आवे और तत्काल पानी गिराकर खाली घड़ा लेकर चले तो यह शकुन अशुभ है। यात्राकी कठिनाइयों के साथ धनहानिकी सूचना देता है।
__ यात्रा समय में काक का विचार यदि यात्राके समय काक वारी बोलता हुआ वामभागमें गमन करे तो सभी प्रकारके मनोरथोंकी सिद्धि होती है। यदि काक मार्गमें प्रदक्षिण करता हुआ बायें हाथ आ जावे तो कार्यकी सिद्धि, क्षेम, कुशल तथा मनोरथोंकी सिद्धि होती है। यदि पीठ पीछे काक मन्दरूपमें मधुर शब्द करता हुआ गमन करे अथवा शब्द करता हुआ उसी ओ: मार्गमें आगे बढ़े, जिधर यात्राके लिए जाना है, अथवा शब्द करता हुआ काक आगे हरे वृक्षकी हरी डाली पर स्थित हो और अपने पैरसे मस्तकको खुजला रहा हो, तो यात्रा में अभीष्ट फलकी सिद्धि होती है। यदि गमनकालमें काक हाथीके ऊपर बैठा दिखलाई पड़े या हाथी पर बजते हुए बाजों पर बैठा हुआ दिखलाई पड़े तो यात्रामें सफलता मिलती है, साथ ही धन-धान्य, सवारी, भूमि आदिका लाभ होता है। यदि काक धोड़ेके ऊपर स्थित दिखलाई पड़े तो भूमिलाभ, मित्रलाभ एवं धनलाभ करता है। देवमन्दिर,