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का गंधर्व नगर, परकोट, क्षत्रिय वैश्य, ब्राह्मण, शूद्र, राजा, नगर को किस माह किस प्रकार का फल प्रदान करेगा जंगल में, शहर, ग्रामों में गंधर्व नगरों के फल वर्णित हैं।
द्वादश अध्याय में मेघों के गर्भ धारण, नक्षत्रानुसार फल वाराह मिहिर मेघा के अनुसार एवं स्वानुभव द्वारा अनके प्रकार से मेघ गर्भ प्रकरण है।
त्रयोदश अध्याय में राज्य यात्रा, वैद्य, पुरोहित, ज्योतिष सेना के प्रमाण समय का फल, घातक चंद्र तिथि नक्षत्रवार और खंजन नीलकंठ पक्षी काक, 344 गाय, कुत्ता, मोर, के शकुन निमित्त द्वारा शुभ अशुभ फल वर्णित है।
चतुर्दश अध्याय में वृक्ष गिरने, नदियों के हँसने रोने, चींटियों के निकलने मेंढक, सर्प ध्वनि तथा आकाश से प्राप्त ध्वनियों के फल का वर्णन है। घोड़ों के उत्पात, पल्ली पतन और राजनीति में युद्धादि के फल का वर्णन है।
पंचदश अध्याय में शुक्रग्रह के नक्षत्र, मंडल, उदय, अस्त एवं विभिन्न क्षेत्रों के कलादेश है।
पोइस अध्याय में—-शनिग्रह के उदय, अस्त, वक्री, गति-भ्रमणानुसार विभिन्न नक्षत्रों राशियों में फल की विस्तृत विवेचना है।
सप्तदश अध्याय में :- गुरु-गृह के मार्ग, प्रतिलोम, अनुलोम वक्री उदय के फल
अष्टादश अध्याय मे :- बुध की सात प्रकार की गति, उदय, अस्त, क्रांति और नक्षत्रानुसार फल वर्णित है।
उन्नीसवें अध्याय में :- मंगल के वर्ण, चार, ताम्र प्रजापति का भेद, द्वादश राशिगत फल, लोह, लोहित बह्मघाती, क्रूर, वक्र और पाँच प्रधान वक्रों के फल वर्णित हैं।
बीस अध्याय में :- राहूचार, चंद्रमा के ग्रहण, राशि अनुसार फल, समय, दृष्टि भेद के फल हैं।
इक्कीसवें अध्याय में :- तीन सिर के केतू, छिद्र केतू, धूमकेतू, गोलक बंध विक्रातादि केतू के फल वर्णित हैं।