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भदबाहु संहिता |
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(हस्तिनो हीयन्ते) हाथियों का घात होता है। (अहोरात्रान्यमाक्रोद्युः) और अहोरात्र उसके ऊपर यमराज क्रोधित रहता है (तत्प्रधान वधस्मृतः) और उस सेना के प्रधान का वध जानो।
भावार्थ-राजा यदि शनिवार को यात्रा के लिये याने युद्ध के लिये निकले तो समझो उस राजा की सेना के हाथी मारे जाते हैं और समझो उसकी सेना के ऊपर यमराज ही कुद्ध हो गया है और सेना के प्रधान का तो अवश्य मरण होता ही है॥९॥
यावच्छायाकृतिरावैहीयन्ते वाजिनो यदा।
विमनस्का विमतयः तत्प्रधान वधःस्मृतः॥१०॥ (यदा) जब (वाजिनो) घोड़े, (विमनस्का) विमनस्क होकर चले, (विमतयः) विमत होकर चले, (यावच्छायाकृतिरावैः) और उनकी इच्छा, आकृति आदि भी विचित्र (हीयन्ते) दिखे तो (तत्प्रधान) उस सेना के प्रधान का (वधः स्मृतः) वध होगा ऐसा स्मरण रखना चाहिये।
भावार्थ-जिस राजा की सेना के घोड़े, विमनस्क होकर चले, जिनकी छाया, आकृति आदि भी सब अस्त-व्यस्त हो तो समझो उस सेना के प्रधान का वध होता है॥१०॥ मेघशंखस्वराभास्तु
हेमरत्नविभूषिताः। छायाहीनाः प्रकुर्वन्तिः तत्प्रधानवधस्तथा ॥११॥ ___ यदि सेना के घोड़े, (हेमरत्नविभूषिताः) सोने रत्न के विभूषण सहित होकर (मेघशंखस्वराभास्तु) मेघ की ध्वनि, शंख ध्वनि, करते हुऐ और (छायाहीनाः प्रकुर्वन्तिः) छाया को हीन करते हैं तो (तत्प्रधानवधस्तथा) सेना के प्रधान का मरण होगा।
भावार्थ-यदि राजा की सेना के घोड़े रत्न आभूषणों से सहित होकर मेघ के समान शब्द करे व शंख की ध्वनि करे और छाया भी हीन दिखे तो समझो सेना के प्रधान का मरण होगा।। ११ ।।