________________
भद्रबाहु संहिता
२४६
वर्षाके सम्बन्धमे एक आ म बात : ला देनी चाहिए कि भारतमें तीन प्रकारके प्राकृतिक प्रदेश हैं-अनूप, जोगल और मिश्र। जिस प्रदेशमें अधिक वर्षा होती है, वह अनूप; कम वर्षा वाला जोगल और अल्पजलवाला मिश्र कहलाता है। मारवाड़में मामूली भी अशुभ योग वर्षाको नष्ट कर देता है और अनूप देशमें प्रबल अशुभ योग भी अल्पवर्षा कर ही देता है। जिस ग्रहके जो प्रदेश बदलाये गए हैं, वह ग्रह अपने ही प्रदेशोंमें वर्षाका अभाव या सद्भाव करता है।
___ ग्रहों के प्रदेश-सूर्य के प्रदेश-द्रविड़ देशका पूर्वार्द्ध, नर्मदा और सोन नदीका पूर्वार्द्ध, यमुनाके दक्षिणका भाग, इक्षुमती नदी, श्री शैल और विन्ध्याचलके देश, चम्प, मुण्डू, चेदीदेश, कौशाम्बी, मगध, औण्डू, सुङ्म, बंग, कलिङ्ग, प्रागज्योतिष, शबर, किरात, मेकल, चीन, बाह्रीक, यवन, काम्बोज और शक
चन्द्रमा के प्रदेश-दुर्ग, आर्द्र, द्वीप, समुद्र, जलाशय, तुषार, रोम, स्त्रीराज, मरुकच्छ और कौशल हैं।
मंगल के प्रदेश–नासिक, दण्डक, अश्मक, केरल, कुन्तल, कोंकण, आन्ध्र, कान्ति, उत्तर पाण्ड्य, द्रविड, नर्मदा, सोन नदी और भीमरथीका पश्चिम अर्धभाग, निर्बिन्ध्या, क्षिप्रा, बेत्रवती, वेणा, गोदावरी, मन्दाकिनी, तापी, महानदी, पयोष्णी, गोमती तथा बिन्ध्य, महेन्द्र और मलयाचलकी नदियाँ आदि हैं।
बुध के प्रदेश–सिन्धु और लौहित्य गंगा, मंदीरका, रथा, सरयू और कौशिकीके प्रान्तके देश तथा चित्रकूट, हिमालय और गोमन्त पर्वत, सौराष्ट्र देश और मथुराका पूर्व भाग आदि हैं।
बृहस्पति के प्रदेश–सिन्धुका पूर्वार्द्ध, मथुराका पश्चिमार्द्धभाग तथा विराट और शतद्गु नदी, मत्स्यदेश (धौलपुर, भरतपुर, जयपुर आदि) का आधा भाग, उदीच्यदेश, अर्जुनायन, सारस्वत, वारधान, रमट, अम्बष्ठ, पारत, सुध्न, सौवीर, भरत, साल्व, त्रैगर्त, पौरव और यौधेय हैं।
शुक्र के प्रदेश–वितस्तार, इरावती और चन्द्रभागा नदी, तक्षशिला, गान्धार, पुष्कलावत, मालवा, उशीनर, शिवि, प्रस्थल मार्तिकावत, दशार्ण और कैकेय हैं।