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भद्रबाहु संहिता
भी उत्तम होती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा को निरभ्र आकाश रहे और दक्षिण वायु चले तो उस वर्ष अच्छी वर्षा नहीं होती। ज्येष्ठ पूर्णिमा को प्रात:काल सूर्योदय के समय में पूर्वीय वायु के चलने से फसल खराब होती है, पश्चिमीय के चलने से अच्छी, दक्षिणीय से दुष्काल और उत्तरीय वायु से सामान्य फसल की सूचना समझनी चाहिए।
दशवें अध्याय में प्रवर्षण का वर्णन है। इस अध्याय में 55 श्लोक हैं। इस अध्याय में विभिन्न निमित्तों द्वारा वर्षा का परिमाण निश्चित किया गया है। वर्षा ऋतु में प्रथम दिन वर्षा जिस दिन होती है, उसी के फलादेशानुसार समस्त वर्ष की वर्षा का परिमाण ज्ञात किया जा सकता है। अश्विनी, भरणी आदि 27 नक्षत्रों में प्रथम वर्षा होने से समस्त वर्ष में कुल कितनी वर्षा होगी, इसकी जानकारी भी इस अध्याय में बतलाई गयी है। प्रथम वर्षा अश्विनी नक्षत्र में हो तो 49 आढ़क जल, भरणी में हो तो 29 आदक जल, कृत्तिका में हो तो 51 आढ़क, रोहिणी में हो तो 61 आढ़क, मृगशिर नक्षत्र में हो तो 6 आदक, आर्द्रा में हो तो 32 आढ़क, पुनर्वसु में 61 आढ़क, पुष्य में हो तो 42 आढ़क, आश्लेषा में हो तो 64 आदक, मघा में हो तो 16 द्रोण, पूर्वा फाल्गुनी में हो तो 16 द्रोण, उत्तराफाल्गुनी में हो तो 67 आढ़क, हस्त में हो तो 25 आदक, चित्रा में हो तो 22 आढ़क, स्वाति में हो तो 32 आढ़क, विशाखा में हो तो 16 द्रोण, अनुराधा में हो तो 16 द्रोण, ज्येष्ठा में हो तो 18 आदक और मूल में हो तो 16 द्रोण जल की वर्षा होती है। इस अध्याय में पूर्वाशादा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण; धनिष्टा, शतभिषा; पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र में वर्षा होने का फलादेश पहले कहा गया है। अत: ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ पूर्वाषाढ़ा से नक्षत्र की गणना की गयी है।
ग्यारहवें अध्याय में गन्धर्व नगर---का वर्णन किया गया है। इस अध्याय में 31 श्लोक हैं। इस अध्याय में बताया गया है कि सूर्योदयकाल में पूर्व दिशा में गन्धर्व नगर दिखलाई पड़े तो नागरिकों का वध होता है। सूर्य के अस्तकाल में गन्धर्व नगर दिखलाई दे तो आक्रमणकारियों के लिए घोर भय की सूचना समझनी चाहिए। रक्तवर्ण का गन्धर्वनगर पूर्व दिशा में दिखलाई पड़े तो शस्त्रोत्पात, पीत वर्ण का दिखलाई पड़े तो मृत्यु तुल्य कष्ट, कृष्णवर्ण का दिखलाई पड़े तो मारकाट, श्वेत वर्ण का दिखलाई पड़े जो विजय, कपिल वर्ण का दिखलाई पड़े तो क्षोभ, मंजिष्ट वर्ण का दिखलाई पड़े तो सेना में क्षोभ एवं इन्द्रधनुष के वर्ण के समान