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| भद्रबाहु संहिता
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भावार्थ-यदि सूर्यास्त के समय पश्चिम दिशा के अन्दर गन्धर्व नगर दिखाई दे तो समझो आने वाले आक्रमणकारी राजा को महान भय उपस्थित होगा।३।।
रक्तं गन्धर्व नगरं दिशं दीप्तां यदा भवेत्।
शस्त्रोत्पातं तदा विन्धाद् दारुणं समुपस्थितम्॥४॥ (यदा) जब (रक्तं) लालरंग का (गन्धर्वनगरं) गन्धर्व नगर पूर्व (दिशं) दिशाको (दीप्तां) सूर्योदयके समय (भवेत्) होता है (तदा) तब (दारुणं) महान (शस्त्रोत्पात) शस्त्रोका उत्पात (समुपस्थितम्) उपस्थित होगा ऐसा (विन्द्याद्) जानो।
भावार्थ-यदि गन्धर्व नगर पूर्व दिशा में सूर्योदय के समय में दिखाई दे तो समझो महान शस्त्रोत्पात होगा ।। ४॥
पीले गन्धर्व नगर का फल पीतं गन्धर्वनगरं दिशं दीप्तां यदा भवेत्।
व्याधिं तदा विजानीयात् प्राणिनां मृत्युसन्निभम् ॥५॥ (यदा) जब (पीतं) पीलेरंग का (गन्धर्वनगर) गन्धर्व नगर पूर्व (दिशं) दिशामें (दीप्तां) सूर्योदयके समय (भवेत्) होता है (तदा) तब (प्राणिनां) जीवों को (व्याधि) व्याधि होगी, और (मृत्युसन्निभम्) मृत्यु के, निकट है ऐसा (विजानीयात्) जानना चाहिये।
भावार्थ—सूर्योदयके समयमें पूर्व दिशा की ओर पीले रंग का गन्धर्व नगर दिखाई दे तो समझो वहाँ के लोग व्याधि से ग्रसित होकर मृत्यु के निकट पहुँच जायगें|| ५॥
काले गन्धर्व नगर का फल कृष्णं गन्धर्वनगरमपरां दिशिमासृतम्।
वधं तदा विजानीयाद् भयं वा शुद्रयोनिजम्।। ६ ।। यदि (कृष्ण) काले रंगके (गन्धर्वनगर) गन्धर्व नगर (अपरांदिशिमासृतम्) पश्चिमदिशा को दिखाई दे तो (तदा) तब (वधं) वध होगा (विजानीयाद्) ऐसा जानो (वा) वा (शुद्रयोनिजम् भयं) शुद्रयोनीवाले को भय होगा।