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भद्रबाहु संहिता
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सुभिक्षं शेममारोग्यं नैतीयं बहूदकम्।
स्थलेषु वापयेद् बीजं राज्ञो विजयमादिशेत् ।। २६ ।। . (रोहिण्याम्) रोहिणी नक्षत्र को यदि वर्षा हो तो (आढकान्येकविंशच्च) इक्कावन आढ़क प्रमाण (अभिवर्षति) वर्षा होती है (सर्वमेका दशाहिकाम्) ग्यारह दिनों में सर्व रहसे (अपग्रह) अनिष्ट (विजानीयात्) जानना चाहिये और (नैरृतीयं) नैर्ऋत्यदिशा की ओर से बादल उठकर (बहुदकम) बहुत वर्षा होगी, (सुभिक्ष) सुभिक्ष (क्षेमं) क्षेम (आरोग्य) निरोगता बढ़ेगी, (स्थलेषुवापयेद् बीजं) पृथ्वी में बीजों का वपन करना चाहिये, (राज्ञो) राजा की (विजय) विजय (आदिशेत्) होगी ऐसा कहा है।
भावार्थ-यदि रोहिणी नक्षत्र में वर्षा हो तो इक्कावन आढ़क प्रमाण वर्षा होगी, ग्यारह दिन-रात में अनिष्ट होगा, नैर्ऋत्य दिशा से बादल उठकर बहुत वर्षा करेगें, सुभिक्ष होगा, क्षेम कुशल होगा, निरोगता बढ़ेगी, पृथ्वी पर उस समय बीजों का वपन कर देना चाहिये, राजाकी युद्ध में विजय होगी। ऐसा आचार्यश्री ने कहा है।।२५-२६ ॥
आढकान्येकनवतिः सौम्ये प्रवर्षते यदा। अपग्रहं तदा विन्धात् सर्वमेकादशाहिकम्॥२७॥ तदाऽप्यपग्रहं विन्द्याद् वासराणि चतुर्दश। महामात्याश्चपीड्यन्ते क्षुधा व्याधिश्च जायते।
क्षेमं सुभिक्षमारोग्यं दंष्ट्रिण: प्रबलस्तदा ॥२८॥ (यदा) जब (सौम्ये प्रवर्षते) मगशिरा नक्षत्र में वर्षा हो तो समझो (अन्येक नवति आढक) इक्कावन आढ़क प्रमाण वर्षा होगी, (सर्वमेकादशाहिकम्) सर्व ग्यारह दिनों व रात्रियों में (अपग्रह) अनिष्ट (तदा) तब (विन्द्याद्) जानो। अथवा (चतुर्दश वासराणि) चौदह रात्रि दिनों में (तदाऽप्यपग्रहं विन्द्याद्) अनिष्ट होगा। (महामात्याश्च पीड्यन्ते) राज्य के प्रधानमन्त्री को पीडा (क्षुधा व्याधिश्च) क्षुधा व्याधि का (जायतते) होना, (क्षेम) क्षेम, (सुभिक्ष मारोग्यं) सुभिक्ष, निरोगता भी बढ़ेगी (दंष्ट्रिण:) चूहों का (तदा) तब (प्रबला:) उपद्रव प्रबल होगा।
भावार्थ-यदि मृगशिर नक्षत्रमें वर्षा हो तो इक्कावन आढ़क प्रमाण वर्षा