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सप्तमोऽध्यायः
करती हुई (प्रदृश्यते) दिखाई दे तो (महामेघाँस्तदा) महामेघों का आगमन (विन्द्यात्) जानना चाहिये, (यथा) ऐसा (भद्रबाहुवचो) भद्रबाहु स्वामी का वचन है।
भावार्थ-जब सन्ध्या सब दिशाओंमें उद्योत रूप दिखाई दे तो समझो महामेघों का आगमन होकर बहुत ही वर्षा की वृष्टि होगी पृथ्वी पर पानी ही पानी बरस जायेगा ।। १९॥
सरस्तडागप्रतिमा कूप कुम्भनिभा च या।
यदा पश्यति सुस्निग्धा सा सन्ध्या वर्षदा स्मृता ।। २० ॥
या) जोसमा समाः) सरोवर, (तड़ाग) तालाब (प्रतिमा) प्रतिमा (कूप) कूप (कुम्भ) कुम्भ (निभा) आकार वाले (च) और (सुस्निग्धा) सुस्निग्धा (यदा) जब (पश्यति) दिखती है तो (सा) वो (सन्ध्या) सन्ध्या (वर्षदास्मृता) वर्षा करायेगी ऐसा स्मरण रखना चाहिए।
भावार्थ-जो सन्ध्या, सरोवर, तालाब, प्रतिमा, कुम्भ के आकार की हो और अच्छी तरह स्निग्ध हो, ऐसी दिखने वाली सन्ध्या वर्षा की वृष्टि करायेगी, ऐसा स्मरण रखना चाहिये॥२० ।।
धूम्रवर्णा बहुच्छिद्रा खण्डपापसमा यदा।
या सन्ध्या दृश्यते नित्यं सा तु राज्ञो भयङ्करा ॥२१॥ (यदा) जब (सन्ध्या) सन्ध्या (धूम्रवर्णा) धूएँ के रंग की, (बहुच्छिद्रा) बहुत छेदवाली, (खण्ड) खण्ड (पापसमा) पापरूप (दृश्यते) दिखाई दे तो (सा तु) वह (नित्यं) नित्य ही (राज्ञो) राजाको (भयंकरा) भय उत्पन्नकरने वाली है।
भावार्थ-- जब सन्ध्या धूएं के आकार व रंग की हो बहुत छेदवाली खण्डरूप और पापरूप दिखलाई पड़े स्निग्ध हो तो समझो राजा को भय उत्पन्न करेगी।। २१॥
द्विपदाश्चतुष्पदा: क्रूराः पक्षिणश्च भयङ्कराः।
सन्ध्यायां यदि दृश्यन्ते भय माख्यान्त्युपस्थितम्॥२२॥ (द्विपदा:) दो पाँव वाले (चतुष्पदा) चार पाँव वाले (क्रूरा:) क्रूर हो (पक्षिणश्च) और पक्षियों के आकार वाले (भयङ्कराः) भयंकर (यदि) यदि (सन्ध्यायां) सन्ध्या