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षष्ठोऽध्यायः
से गमन करते है नीले हो और पीले हो तो समझो स्थाई राजा के साथ आने वाले राजा का समागम हो जायेगा ॥२९॥
स्थावराणां जयं विन्द्यात् स्थावराणां धुतिर्यदा।
यायिनां च जयं विन्धाच्चलाध्राणां धुतावपि ॥ ३० ।। (अभ्राणां) बादल (स्थावराणां द्युतिर्यदा) स्थाई निवासीयों के प्रति (द्युतिः) प्रकाश देते है तो (स्थावराणां) स्थाई राजा की (जयं) जय (विन्द्यात्) जानो, (यायिनां) आने वाले राजा की (च) और (धुतावपि) बादल का प्रकाश हो तो आने वाले राजा की (जयं) जय (विन्द्यात्) समझो।
भावार्थयदि बादल स्थाई राजा के प्रति प्रकाश और चिह्न वाले हो तो स्थाई राजा की जय होगी, अगर आने वाले राजा के प्रति यही चिह्न हो तो आने वाले राजा की विजय होगी।। ३०॥
राजा तत्पतिरूपैस्तु ज्ञेयान्यभ्राणि सर्वशः।
तत् सर्वं सफलं विन्धाच्छुभं वा यदि वाऽशुभम् ॥३१॥ (राजा) राजा को (तत्प्रति) अपने प्रति (रूपैस्तु) रूप हो (अभ्राणि) बादल तो (सर्वश:) सब प्रकार से राजा को (तत् सर्वं) सब प्रकार सफल (ज्ञेयान्य) जानना चाहिये, और (छुभंवा यदि वाऽशुभम्) शुभ या अशुभ राजा को स्वयं (विन्द्यात्) जान लेना चाहिये।
भावार्थ-बादल यदि राजा के प्रतिरूप या अनुरूप चलते हुए दिखाई दे तो स्वयं राजा को शुभाशुभ जान लेना चाहिये राजा शुभाशुभ निमित्तो का जानकार नहीं वो अपना राज्य स्थायी रूप में नहीं चला सकता है, उसका राज्य असमय में ही नष्ट हो जाता है।। ३१॥
विशेष—अन यहाँ पर बादलों का लक्षण कहते हैं बादल अनेक प्रकार के होते हैं अनेक आकार के होते हैं अनेक वर्ण के होते हैं शीघ्रगामी या धीरे-धीरे चलने वाले होते हैं सभी दिशाओं में होते हैं, इन बादलों का प्रभाव राजा व प्रजा दोनों के ही ऊपर पड़ता है, इन सब बातों से हानि लाभ, वर्षा, शान्ति या युद्ध, रोग यानि रोग सुभिक्ष या दुर्भिक्ष, धान्योत्पति या उसका नाश आदि मालूम पडता