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षष्ठोऽध्यायः
होकर (दीप्तरूपाणि) प्रकाश के लिये हुऐ, (पुरत:) नगर सैनिक लेते हुऐ राजा के आगे (वा पृष्ठतोऽपि) पीछे-पीछे दौड़ते हो तो राजा के (जयमाख्यान्त्युपस्थितम्) जय की उपस्थित करते हैं।
_ भावार्थ-बादल सफेदवर्णके स्निग्ध और प्रकाशमान होते हुऐ राजा के प्रयाण के समय आगे व पीछे दौड़े तो समझो राजा की अवश्य विजय होगी।। १२॥
चतुष्पदानां पक्षिणां क्रव्यादानां च दंष्ट्रिणाम् ।
सदृशप्रतिलोमानि बधमाख्यान्त्युपस्थितम् ।। १३ ॥ बादल (प्रतिलामानि) अपसव्यमार्गसे गमन करे और (चतुष्पदानां) चार पाँव वाले, (पक्षिणां) पक्षियों के आकारवाले (च) और (कठ्यादानं मांसभक्षी (दंष्टिणाम्) दुष्ट स्वभाव वाले भयंकर दाड़ वाले दांत वाले के (सदृश) आकार होकर आगे-आगे (उपस्थितम्) उपस्थित होते है तो (बधमाख्यान्त्य) राजा के वध की सूचना देते
भावार्थ-यदि बादल चार पाँव वाले दुष्ट पशुओं के आकार होकर अथवा दुष्ट पक्षियों के आकार होकर अथवा जिनके भयंकर दांत व दाड़ें है उनके आकार होकर अपसव्य मार्ग से गमन करते हो तो समझो राजा का युद्ध में पराजय और वध हो जायेगा। राजा युद्ध में मारा जायेगा ।। १३ ।।।
असि शक्ति तोमराणां खङ्गानां चक्रचर्मणाम्।
सदृश प्रतिलोमानि सङ्ग्रामं तेषु निर्दिशेत् ।। १४॥ बादल युद्ध प्रयाण के समय (असि) तलवार, (शक्ति) शक्ति, (तोमराणां) तोमर, (खजानां) खड्ग (चक्र) चक्र (चर्मणाम्) ढाल के (सश) आकार होकर (प्रतिलोमानि) अपसव्य मार्ग से गमन करे तो (तेषु) उनके (संग्राम) संग्राम को (निर्दिशेत्) निर्देश देते हैं।
भावार्थ-यदि बादल राजा के प्रयाण समय में तलवार, शक्ति, तोमर, दाल, चक्रादि के आकार होकर राजा के अपसव्य मार्ग से गमन करे तो समझो वहाँ लड़ाई अवश्य होगी, ये बादल युद्ध होने की सूचना देते हैं ।। १४॥