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भद्रबाहु संहिता
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(शिवानि) अच्छे (वर्षदानि) बरषते है (दक्षिणाण्य पराणिस्यु:) दक्षिणदिशा के बादल अथवा, पश्चिम दिशाके बादल (समूत्राणि) मूत्र के समान बरषते है, (न संशयः) इसमें कोई संशय नहीं है।
भावार्थ-आचार्य कहते है कि पूर्वदिशा से आनेवाले बादल या उत्तरदिशासे आने वाले बादल अवश्य वर्षा करते हैं, और दक्षिण और पश्चिमदिशा से आने वाले बादल मूत्र के समान वर्षा करते हैं इसमें कोई संशय नहीं है॥३॥
कृष्णानि पीत ताम्राणि श्वेतानि च यदा भवेत्।
तयोर्निर्देशमासृत्य वर्षदानि शिवानि च॥४॥ (यदा) जब बादल (कृष्णानि) काले, (पीत) पीले (ताम्राणि) ताँबे के रंग (च) और (श्वेतानि) सफेद (भवेत्)) होते है तो, (तयोर्निर्देशं) समझो ये सूचित कर रहे हैं (आसृत्य) की (शिवानि) शुभ अच्छी (वर्षदानि) वर्षा होगी।
भावार्थ-यदि बादल काले हो, पीले हो, सफेद हो, ताम्र के रंग के हो तो ऐसा निर्देश समझो की बहुत ही शुभ याने अच्छी वर्षा होगी।॥ ४॥
अप्सराणां च सत्त्वानां सहशानि चराणि च।
सुस्निग्धानि च यानि स्युर्वर्षदानि शिवानि च ॥५॥ यदि (अप्सराणां) देवांगना के समान (च) और (सत्त्वानां) जीवों के (सदृशानि) समान (चराणि) आचरण करे (च) और (स्निग्धानि) स्निग्ध हो तो (शिवानिस्यु:) शुभ रूप से (वर्षदानि) वर्षा होगी।
भावार्थ-यदि बादल देवांगनाओं के समान या जीवों के समान आचरण करते हो और स्निग्ध हो तो समझो उत्तम वर्षा होगी॥५॥
शुक्लानि स्निग्ध वर्णानि विधुच्चित्र घनानि च।
सद्यो वर्ष समाख्यान्ति तान्यभ्राणि न संशयः ।। ६ ।। (शुक्लानि) सफेद, (वर्णानि) रंगके (स्निग्ध) स्निग्ध (च) और (घनानि) घन रूप (चित्र) नाना प्रकारके (विद्युत) बिजली सहित (तान्यभ्राणि) अगर बादल हो तो (सद्यो) नित्य ही (वर्ष) वर्षा को (समाख्यान्ति) बरसाने वाले होते हैं (न संशय:) उसमें कोई संदेह नहीं करना चाहिये॥६॥