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प्रस्तावना
उदय मेष राशि में हो तो जल वृष्टि अच्छी होती है, सुख, शान्ति, परस्पर प्रेम आदि सब शुभ ही शुभ लाभ होता है।
___ इस प्रकार महीनों के अनुसार भी ग्रहों के उदयास्त से शुभाशुभ होता है ज्येष्ठ में बुद्ध का उदय शुभ होता है इत्यादि दिशाओं के अनुसार ग्रहों के उदय अस्त से भी शुभाशुभ होता हैं। जैसे पश्चिम दिशा में बुध का उदय शुभ माना है। इस प्रकार ग्रहों के अस्त होने पर निमित्त ज्ञानी विचार करें। लक्षण निमित्त—मानव के अन्दर चक्र सिंहासन कलश स्वस्तिक, आदि को देखकर शुभाशुभ कहना लक्षण निमित्त हैं और इसीके अन्तर्गत हाथों व पांवों की रेखाएँ देखना है। आप मनुष्य के शरीर में व हाथ पावों के चिन्ह व रेखाएं देखकर शुभाशुभ का वर्णन कर सकते हैं।
स्त्रियों के बायें हार्थों में रेखादि देखना, पुरुषों के दायें हार्थों में ये रेखादि देखना, शुभाशुभ लक्षण की अच्छी तरह से परीक्षा करनी चाहिये। फिर सामुद्रिक ज्ञान को जानने वाला फल कहे इन रेखाओं से, आयु ज्ञान, लक्ष्मी ज्ञान, हृदयज्ञान, मस्तिष्क ज्ञान, सन्तान ज्ञान, परिवार ज्ञान आदि जीवन के पूर्ण रूप से हानि लाभ हो सकता है, अंगुलियां उसके पोरू, नाखून आदि वह हथेली देखे, कौन रेखा कहाँ टूटी या पूर्ण हैं, सब देखें अंगुलियों के बीच का अन्तर देखे, हथेली कोमल है या कठोर है हार्थों में कौन कौन से शंख चक्रादि चिह्न हैं कहाँ पर हैं कौन ग्रहों का स्थान कहाँ पर, कौनसी रेखा कौन से ग्रह स्थान को पार कर रही हैं, हृदय कैसा हे वक्षस्थल कैसा है, भुजाएं कैसी हैं, नाभि कैसी हैं, उदर कैसा है, जंघाऐं कैसी हैं, पांव के तलुए कैसे हैं, पांव रूखे हैं या चिकने हैं पाँवों की दसों अंगुलियाँ देखें, छोटी या मोटी, लम्बी आदि देखें। यह सब देखकर निमित्तज्ञ शुभाशुभ फलों को कहे, इन सब का उल्लेख आगे परिशिष्ट अध्याय सामुद्रिक शास में वर्णन कर दिया है उसमें अच्छी तरह से देख लेवें, हथेलियों के अन्दर कुछ मुख्य रेखाएं होती हैं आयु रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा, भाग्यरेखा, विवाह रेखा, सन्तान रेखा, मणिबंध रेखा, विद्या रेखादि होती है। यवमालादि भी विशेष फल दिखाती हैं। स्वप्न निमित्त—निरोग अवस्था में जीवों को जो स्वन आते हैं उनसे शुभाशुभ को जानना स्वप्न निमित्त हैं। स्वप्न निमित्तों में स्वप्न कैसा है, कौनसी तिथि में आया कौन से प्रहर में आया, इन सब बातों का ज्ञान रखते हुए स्वप्नों के शुभाशुभ फलों को जाने और फल