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| भद्रबाहु संहिता
वृश्चिक-स्थिर, शुभ्रवर्ण, स्त्री जाति, जल तत्त्व, उत्तर दिशा की स्वामिनी, कफ प्रकृति, रात्रिबली और हठी है।
धनु-पुरुष, कांचनवर्ण, द्विस्वभाव, क्रूर, पित्त प्रकृति, दिनबली, अग्नि तत्त्व और पूर्व की स्वामिनी है।
मकर-चर, स्त्री, पृथ्वी तत्त्व, वात प्रकृति, पिंगल वर्ण, रात्रिबली, उच्चाभिलाषी और दक्षिण की स्वामिनी है।
कुम्भ-पुरुष, स्थिर, वायु तत्त्व, विचित्र वर्ण, शीर्षोदय, अर्द्धजल, त्रिदोष प्रकृति और दिनबली है।
मीन-द्विस्वभाव, स्त्री जाति, कफ प्रकृति, जलतत्त्व, रात्रिबली, पिंगलवर्ण और उत्तर की स्वामिनी है।
इन लग्नों का जैसा स्वरूप बतलाया गया है, उन लग्नों में उत्पन्न हुए व्यक्तियों का वैसा ही स्वभाव होता है।
इति श्री पंचम श्रुत केवली दिगम्बराचार्य श्री भद्रबाहुस्वामी रचित, भद्रबाहु संहिता का उल्कादि नाम का कहने वाला प्रथम अध्याय का हिन्दी भाषाकरण की क्षेमोकय नामक टीका का प्रथम अध्याय समाप्त।
(इति प्रथमोऽध्याय: समाप्त:)