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प्रस्तावना
पड़ा स्वामिन् आपको इतना भी मालूम नहीं की जहाँ बच्चे खेल रहे हो समझो ग्राम अति निकट में है। बालक के मुँह से उत्तर सुनते ही गोवर्द्धनाचार्य आश्चर्य चकित होकर बालक का मुंह देखने लगे और सोचने लगे उसके आंगोपांग को देखकर सामुद्रिक शास्त्रों के अनुसार सर्व सब सुलक्षणों से सहित यह परम पुरुष है। ऐसा जानने लगे, आचार्य गोवर्द्धन उन बच्चों को खेल देखने के लिये वहीं खड़े हो गये, वह सारे बच्चे गोटी एक पर एक चढ़ाने का खेल खेल रहे थे, सारे बच्चे प्रयत्नशील थे, कोई चार गोली चढ़ा पाये तो कोई छह आदि, किन्तु भद्रबाहु बालक ने देखते ही देखते बारह गोली एक पर एक करके चढ़ा दी यह देखकर गोवर्द्धनाचार्य ने अपने निमित्त से जान लिया कि अब मेरे बाद यह होनहार बालक ही वीतराग वाणी रूप द्वादशांग श्रुत को धारण कर सकेगा अर्थात् अन्तिम श्रुतकेवली यही होगा। भद्रबाहु बालक को गोवर्द्धनाचार्य ने अपने समीप बुलवाया, कहा, बालक तुम्हारा नाम क्या है? उत्तर मिला मेरा नाम भद्रबाहु है, तुम मुझे अपने घर लेकर चल सकते हो, उत्तर मिला हौं गुरुदेव, तो चलो कहकर गोवर्द्धनाचार्य उस बालक के पीछे चल दिये कुछ ही दूरी पर जाकर बालक ने अपने पिताजी को जोर से चिल्लाकर बुलाया, पिताजी-पिताजी अपने घर पर साधु महाराज आये हैं, पुत्र के शब्द को सुनकर भद्रबाहु के पिता घर से बाहर निकले, निर्ग्रन्थाचार्य को देखते ही वह विप्र गोवर्द्धनाचार्य के चरणों में नमस्कार करता हुआ गिर पड़ा, बड़ी प्रसन्नता व्यक्त की, अपनी पत्नी को उसने बुलाया, एक आसन पर गुरुदेव को विराजमान किया, दोनों ब्राह्मण व ब्राह्मणी अपने पुत्र भद्रबाहु सहित विनय से गुरु चरणों में नमस्कार करते हुए प्रार्थना करने लगे गुरुदेव, आपके दर्शन हम लोगों के घर पर हुए, बड़ा पुण्य का उदय है, गुरु हमारे सरीके लोगों के लिये आपके दर्शन किसी कारण को छोड़कर नहीं हो सकते, भगवान दया करने का क्या कारण, गोवर्द्धनाचार्य कहने लगे वत्स, तुमने ठीक ही कहा मैं तुम्हारे पास कारण लेकर ही आया हूँ।
है! वत्स मैं तुम्हारे पास एक वस्तु मांगने आया हूँ, ब्राह्मण कहने लगा गुरुदेव अवश्य बताइये, आपको क्या चाहिये, मेरे पास आपके योग्य ऐसी क्या वस्तु है जो आपके समान महापुरुष इस गरीब के यहाँ माँगने के लिये स्वयं पधारें, आदेश दीजिए गुरुदेव, तब गोवर्द्धनाचार्य बालक भद्रबाहु की ओर संकेत करते हुए कहने लगे, हे वत्स यह तुम्हारा पुत्र बड़ा बुद्धिमान है, होनहार बालक है, इसका भविष्य बड़ा उज्ज्वल है, यह एक महापुरुष होगा यह एक तुम्हारे घर में रत्न है, इसी रत्न को चाहिये, मुझे दे दो, मैं इसको शिक्षा देकर योग्य बनाऊँगा,