________________
१०६५
कर हस्त रेखा ज्ञान
-
पूर्णचन्द्रविभा नारी अतिरूपातिमानिनी।
दीर्घकर्णा भवेद्याहि सा नारी सुखमेधते ।।
पूर्ण चन्द्रमा के समान प्रभा वाली अति रूपशीला, अति मानिनी तथा लम्बे कानों वाली स्त्री सुखी होती हैं।
यस्याः पादतले रेखा प्राकारछत्रतोरणम् ।
अपि दासकुले जाता राजपत्नी भविष्यति । जिस स्त्री के पैर के तलवे में प्राकार, छत्र या तोरण की रेखा हो वह यदि दासकुल में उत्पन्न हो तो भी पटरानी होगी।
रक्तोत्पलसुवर्णाभा या नारी रक्तपिंगला।
नराणां गतिबाल्पा अलंकारप्रिया भवेत् ॥
लाल, कमल और सोने की कान्ति वाली, रक्त और पिंगल वर्ण की औरत तथा पुरुष के समान चलने वाली छोटी भुजाओं वाली औरत गहनों को बहुत चाहती हैं।
अतिदीर्घा भृशं ह्रस्वां अतिस्थूलामतिकृशाम् ।
अतिगौरां चातिकृष्णां षडेताः परिवर्जयेत्॥
अत्यन्त लम्बी, अत्यन्त छोटी, अत्यन्त मोटी, अत्यन्त पतली, अत्यन्त गोरी तथा अत्यन्त काली ये ६ प्रकार की औरत छोड़ देनी चाहिये।
शुष्कहस्तौ च पादौ च शुष्कांगी विधवा भवेत् ।
अमंगला च सा नारी धनधान्यक्षयंकारी॥
शुष्क हाथ, सूखे पैर और सूखे शरीर वाली स्त्री विधवा होती है। यह अमंगला धन-धान्य की संहारिणी होती है।