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कर हस्त रेखा ज्ञान
पंचरेखा युगत्रीणि द्विरेखा च समास्थितं ।
नवत्यशीतिः षष्ठिश्च चत्वारिंशच्च विंशतिः ।। जिसके क्रमश: पाँच, चार, तीन और दो रेखायें हों क्रमश: ९०, ८०, ६०, ४० और २० वर्ष जीता है।
दीर्घबाहुनरो योग्यः स सर्वगुणसंयुतः। अल्पबाहुर्भवेद्योऽसौ
परप्रेषणकारकः॥ जिस पुरुष की बाँहे लम्बी हो तो वह योग्य त्या रुगसम्पन होता हैं। इसी प्रकार छोटी बाँहों वाला दूसरे का नौकर होता है।
वामावर्ती भुजो यस्य दीर्घायुष्यो भवेन्नरः ।
सम्पूर्णबाहवश्चैव स नरो धनवान् भवेत् ॥ जिसके भुजायें बाईं ओर घुमी हों वह पुरुष दीर्घ आयु वाला तथा धनी होता हैं।
ग्रीवा तु वर्तुला यस्य कुंभाकारा सुशोभना।
पार्थिव: स्यात् स विज्ञेयः पृथ्वीशो कान्तिसंयुतः ।। जिसकी गर्दन घड़े की भाँति गोल और सुन्दर हो वह सुन्दर स्वरूप वाला राजा होगा, ऐसा जानना चाहिये।
शशग्रीवा नरा ये ते भवेयुर्भाग्यवर्जिताः।
कम्बुग्रावा नरा ये च ते नराः सुखजीविनः ।। जिसकी गर्दन खरगोश की-सी होवे वह अभागे होते हैं। और जिसकी गर्दन शंख जैसी हो वे मनुष्य सुखी होते हैं। कदलीस्तंभसशं
गजस्कंधसुबन्धुरम् । राजानं तं विजानीयात् सामुद्रवचनं यथा॥ जिसका कन्धा केले के खम्भे की तरह अथवा हाथी के कन्धे की तरह भरा पूरा स्थूल हो वह राजा होगा ऐसा इस शास्त्र का वचन है।