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कर हस्त रेखा शान
अश्व, कमल आदि से राणा बनता है। जलपा, पणाट, पत्ताका अंकुश हो तो ऐश्वर्यवान होता है। चक्र, तलवार, परशु, तोमर, शक्ति, धनुष, भाला हो तो सेनापति होता है। ऊखला हो तो हवन करने वाला होत्रा होता है। मकर, ध्वजा, कोष्ठागार हो तो महाधनवान् होता है। वेदी हो तो अग्निहोत्रा होता है। वापी, देवकुलादि त्रिकोण हो तो धर्मवान होता है। .. रज्जाभिसे अपर्ट पावइ भद्दासणं भवेजस्स।
पावइ अणंत सोक्खं गयचामर वज्जछत्तेहिं ॥५१॥
(जस्स) जिसके भी हाथों में (भद्दासणं भवे) भद्रासन हो तो (रज्जाभिसे अपट्टे पावइ) राज्याभिषेक पद को पाता है (गयचामर वज्जछत्तेहिं) हाथी चामर, वज्र, छत्र अगर हो तो (अणंत सोक्खं पावइ) अनन्त सुख को पाता है।
भावार्थ-जिसके भी हार्थों में भद्रासन हो तो राज्याभिषेक पद को पाता है। हाथी, चामर, वज्र, छत्र हो तो अनन्त सुख को पाता है।
मयरेण सहस्स धणं पउमें पुण लक्ख धणवई होई।
संखेण दह कोडिवई चक्केणणिहीसरो होइ॥५२॥
(मयरेण सहस्स धणं) अगर मनुष्य के हाथों में मगर हो तो सहस्र धन की प्राप्ति होती है, (पउमें पुण लक्ख धणवई होइ) कमल हो तो लक्षावधि सम्पत्ति मिलती है (संखेण दह कोडिवई) शंख हो तो दस करोड़ का स्वामी बनता हैं (चक्केणणिहीसरो होइ) चक्र हो तो निधियों का स्वामी बन जाता है।
भावार्थ-मनुष्य के हाथ में मगर हो तो सहस्र धनी, कमल हो तो लक्षधनी, शंख हो तो दस करोड़ धनी, चक्र हो तो निधिश्वर बन जाता है।
कागपयं च सुलिहि करस्स मज्झम्मि दीसए जस्स ।
खिप्पं सो धणमज्जइ पुणो विणासइ खणे दव्वं ॥५३॥ (जस्स) जिसके (करस्स) हाथ के (मज्झम्मि) मध्य में (कागपयं सुलिहिअं