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२०३१
कर हस्त रेखा ज्ञान
होता हैं। इस रेखा के अध्ययन से बुरे स्वास्थ्य के आने की बहुमूल्य सूचना मिलती हैं यह एक प्रश्न है कि वह मनुष्य गत सूचनाओं को मानेगे तो और जो कुछ होने को होगा, अवश्य ही होगा।
भाग्य हमारे रास्ते में बहुत सी सूचनायें देता हैं किन्तु मनुष्य या तो इतने अन्धे होते हैं या इतने अपने ही में सीमित होते हैं कि जब तक बहुत देर न हो वे देखते ही नहीं।
अंगुठा व मणिबन्ध का फल अंगुट्ठयस्स मूले या तिपरिखिता समे जवे जस्स।
सो होइ धणाइण्णो खत्तियपुण पत्थिओ होइ ।। 26 ॥ (जस्स) जिस मनुष्य के (अंगुठ्ठयस्स मूले या तिपरिखित्ता समे जवे) अंगूठे के मूल में तीन यवमाला हो तो (सो होइ धणाइण्णो) वह मनुष्य धनवान होता है (खत्तियपुणपत्थिओहोइ) और अगर वह क्षत्रिय हो तो राजा बनता है।
भावार्थ-जिस मनुष्य के अंगूठे के मूल में यवमाला हो और वह भी तीन हों तो ऐसा मनुष्य धनवान होता है। और अगर क्षत्रिय हो तो राजा होता है।। 26 ।।
दुप्परिक्खिताइपुणोणर वइ समयुज्जि ओणरो होइ।
एगपरिक्खिताए जवमालाए धणेसरो होइ।।27।।
(दुप्परिक्खित्ताइपुणो) पुन: दो यवमाला की रेखा हो तो ऐसा मनुष्य (णरवइसमयुज्जि ओणरो होइ) सैंकड़ो राजाओं से पूज्य होता है (एगपरिक्खिताए) यदि एक (जवमालाए) यवमाला की धारा हो तो (धणेसरो होइ) वह मनुष्य धनेश्वर होता है।
भावार्थ-अंगूठे के नीचे यदि दो यवमाला की धारा हो तो वह सैंकड़ों राजाओं से पूज्य होता है। और अगर एक ही यवमाला हो तो वह धनेश्वर बनता है।। 27॥