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भद्रबाहु मंहिता
:- और
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इस तरह से विद्यार्थी उस मनुष्य की प्रारम्भिक दशाओं का ज्ञान प्राप्त कर लेता हैं जो कि अमूल्य हैं—विशेष कर उस समय जबकि उस मानव के हाथ में कोई भाग्य रेखा उसकी बाल्यावस्था के विषय में न बतावे।
इसके प्रतिकूल यदि मस्तिष्क रेखा दायें हाथ में बिल्कुल उसी दशा में पाई जावे जैसी कि बायें हाथ में है अथवा कुछ मिलती हुई सी हो तो विद्यार्थी यह बता सकता हैं। कि उसके बाल्य-जीवन में कोई विशेष घटना नहीं हुई बल्कि उस मनुष्य का वातावरण उसी के अनुकूल था जिसमें वह अपनी प्राकृतिक इच्छाओं को पूर्ण कर सकता था।
यदि बायें हाथ में मस्तिष्क रेखा का अन्त शाखाओं में हो और दायें हाथ में सीधी हो तो उस मनुष्य का अपने पिता से स्वभाव मिलें हैं एक तो विचार,