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हस्त रेखा ज्ञान
इच्छा दिखाती हैं ( 2 चित्र 16 ) यह प्रवृत्ति तब और भी बढ़ जाती हैं जबकि मस्तक रेखा चन्द्रमा के उभार की ओर अधिक झुकी हुई हो ( 6 चित्र 16 ) ऐसे स्थान पर जहाँ कि दाह होता है, उसके विचार अपने आप ही भाग जाते हैं ? जब हृदय रेखा
बृहस्पति के उभार की ओर को टेढ़ी हो ( 7 चित्र 16 ) तो उस मनुष्य में अजीब (Fatality) भाग्यवशता प्रेम में निराशा मिलती है तथा जिनकी मित्रता में उसे विश्वास होता है उनसे भी निराशा मिलती हैं वे निर्वाचन शक्ति में कमजोर होते हैं तथा यह निश्चित नहीं कर सकते कि किसको प्यार करें उनका प्रेम प्रायः गलत स्थान पर रखा जाता है या कभी वापिस नहीं मिलता ऐसे मनुष्य बहुत ही स्नेही तथा दयालु प्रकृति के होते हैं जिनको दे प्यार करते हैं उसके विषय में बहुत कम गर्व रखते हैं और वे प्रायः जीवन के लक्ष्य ( Station of Life) से नीचे ही शादी करते हैं हृदय रेखा जंजीरदार या छोटी-छोटी रेखाओं से जुड़ी हो तो प्रेम प्रकृति में लगातार जुड़ी हुई नहीं होती और बहुत कम ही लम्बा (Lasting) प्यार (Elirtation ) बतलाती हैं ? यह हृदय रेखा शनि से जंजीर के समान हो और विशेषकर जब वह चौड़ी भी हो तो वह मनुष्य अपने विपरीत की जाति के प्रति घृणा करता है यह मानसिकता का फिर से बनना जहाँ तक कि प्रेम से सम्बन्ध हैं, बतलाती हैं ? जब यह रेखा चौड़ी तथा पीली हो बिना किसी गहराई के हो तब प्रेम की बिना गहराई के तथा सुखों से सताई हुई प्रकृति बतलाती हैं जब हाथ में बहुत नीचे हो लगभग मस्तक को छूती हो तो दिल सदा मस्तक सम्बन्धी बातों में दखल देता हैं। जब यह हाथ में बहुत ऊँची हो और जगह केवल मस्तक रेखा से छोटी बनती हो अपने स्थान से बाहर हो तो ऊपर लिखित का उल्टा होता है और दिल सम्बन्धी कार्य मस्तक से शासित होते हैं। ऐसे मनुष्य प्रेम सम्बन्धी कार्यों में बहुत हिसाब लगाने वाले होते हैं जब एक ही सीधी तथा गहरी रेखा हाथ इधर उधर तक जाती हो और हृदय तथा मस्तक दोनों रेखायें आपस में मिलती हो तो यह बहुत ही अपने में एकाग्र चित्त प्रकृति बताती है। यदि वे प्यार करते हैं। तो अपने दिमाग की पूर्ण शक्ति लगा देते हैं। और यदि वे अपना ध्यान किसी चीज पर लगाते हैं तो पूरे दिल से उसे पूरा करने के लिये जुट जाते हैं (6 चित्र 16 ) ।
ऐसे मनुष्य दिमाग के मजबूत तथा स्वेच्छा रखने वाले होते है, वे डर नाम