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| भद्रबाहु संहिता ।
3-वर्गाकार आकृति अथवा सिरे पर मोटाई के लिये अंगूठे वाला जातक हठी, स्वेच्छाचारी, परन्तु परिश्रमी होता है।
4—नोंकदार आकृति के अंगूठे वाला जातक अनुशासनहीन, चंचल प्रवृत्ति तथा अस्थिर स्वभाव का होता है।
5-ऊपर से अधिक मोटे अंगूठे वाला जातक नीच, निर्दयी, हठी, उग्र स्वभावी तथा झगड़ालू प्रवृत्ति का होता है।
6-ऊपर से अधिक पतले अंगूठे वाला जातक अस्थिर-विचार तथा दुर्बल इच्छा-शक्ति वाला होता है।
7-ऊपर से बहुत चपटे अंगूठे वाला जातक पराश्रित अथवा हत्यारा होता
8—ऊपर से गोल चोड़े तथा बहुत मोटे अंगूठे वाला जातक असभ्य, क्रोधी, मूर्खः विचारहीन तथा नीच-प्रवृत्ति का होता है।
9-बीच में मोटे अंगूठे वाला जातक अविवेकी ज्ञानी, हठी तथा मूर्ख होता
10-बीच में पतला तथा दोनों सिरों पर मोटी आकृति के अंगूठे वाला जातक वाद-विवाद एवं विचार-शक्ति में क्षीण परन्तु कूटनीतिज्ञ, दूरदर्शी, जल्दबाज तथा चतुर होता है।
11-अत्यधिक लंबे अंगूठे वाला जातक अपनी ही बुद्धि के अनुशासन में रहने वाला तथा कभी-कभी बहुत जिद्दी बन जाने वाला होता है।
• 12—सामान्य लम्बा अंगूठा हो तो जातक सोच-समझकर काम करने वाला होता है। ऐसे अंगूठे के साथ चमसाकार अंगुलियाँ हैं। तो जातक किसी भी काम को तुरन्त आरम्भ कर देता है। तथा उसके परिणाम एवं समाप्ति की चिन्ता नहीं करता। गांठदार अंगुलियाँ हो और उनके छोर वर्गाकार अथवा चमसाकार हो तो जातक की तर्क शक्ति उत्तम नहीं होती।
____13—सामान्य से कुछ ही अधिक लम्बे अंगूठे वाला जातक आत्म नियन्त्रक तथा सद्गुणी होता है।
14-छोटे अंगूठे वाला जातक दुर्बल-हृदय वाला तथा अनिश्चयी होता