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हस्त-रेखा ज्ञान
गुरु का पर्वत अधिक उठा हो, अंगुष्ठ छोटा हो, बुध का पर्वत चपटा हो, अंगुलियों की नोक मोटी हो तो जातक इन्जीनियर तथा यन्त्रज्ञ होता हैं।
गुरु का पर्वत ऊँचा हो, गुरु की अगूली चन्द्रमण्डल कम पुष्ट हो और नाखून छोटे हो तो जातक सम्पादक, साहित्यज्ञ, विद्वान होता हैं।
मस्तिष्क रेखा सीधी हो, अंगुलियों लम्बी हो और पास-पास हों अंगुष्ठ सीधा और लम्बा हो तो वकील कानून का ज्ञाता होता है।
सूर्य का पर्वत उच्च हो, बुध की अंगुली का प्रथम पर्व लम्बा हो, हाथ की अंगुलियाँ कोणदार लम्बी हो, हृदय, मस्तिष्क रेखा मध्य में चौड़ी हो तो जातक न्यायाधीश, जज होता हैं। गुरु, शनि, सूर्य, बुध का पर्वत उठा हो तो शिक्षक होता हैं। अंगुलियाँ लम्बी हों, उनके अग्र भाग मोटे हों, मध्यमा का दूसरा पर्व लम्बा हो तो जातक शिक्षक, शिक्षा क्षेत्र में प्रमुख व्यक्ति होता है। सूर्य की अंगुली उत्तम हो, प्रथम पर्वत बड़ा हो गुरु का पर्वत उच्च हो, मंगल रेखा पर गुणक का चिह्न हो तो स्त्री पतिव्रता होती हैं।
(12) राज्याधीश लक्षण—जिसके नाक, कान, दाँत, होंठ, हाथ, पैर, आँख ये सात अवयव सीधे हो वह मनुष्य स्वभाव से सीधा समझदार होता हैं यदि बाँके हो तो झूठे स्वभाव वाला ही जानता है। जिनके आँख, जीभ, तलवा, नाक, होंठ, हाथ व पैर का तलवा ये लाल रंग के होवे, वह यश, आराम भोगने वाला, कार्य सिद्ध करने वाला होता हैं। .
जिनके छाती, मुख, कपाल, चौड़ें हो उसे सुख चैन मिलता हैं तथा नर्म स्वभाव वाला गम्भीर होता है। जिनके पीठ, लिंग, फड़ व दोनों जांघ ये पाँच भाग झुके हुए हो तो वह सदैव सद्गुणी पूजा योग्य उत्तम पुरुष होता हैं।
जिसके अंगुली के पीखा, केश, नाखून, दाँत व चमड़ी ये पाँच सूक्ष्म पतली होगी, वह मनुष्य सुखी होगा।
जिसके दोनों कान, दोनों नेत्रों के बीच का भाग, नासिका व दोनों हाथों के अवयव लम्बे हों तो वह मनुष्य उत्तम स्वभाव वाला होता है।
जिसकी नासिका, ग्रीवा, नख, कान, छाती, मुख ये छ: अवयव ऊँचे हो तो वह सदैव उन्नति करता है। जिस मनुष्य के हाथ की अंगुली के नाप से 108