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| भद्रबाहु संहिता |
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(9) सूर्य रेखा–मणिबन्ध, चन्द्रक्षेत्र, राहु के क्षेत्र मस्तक रेखा, हृदय रेखा से आरम्भ होकर सूर्य के क्षेत्र अनामिका अंगुली के नीचे पहुँचती हैं। ऐसी रेखा वाले जातक, भाग्यशाली, यशवान, धनवान होते हैं। जीवन रेखा प्रारम्भ होने से जातक यन्त्र-मन्त्र का जानकर कलाकर होता हैं। मंगले के क्षेत्र से यह रेखा प्रारम्भ हो तो जातक, बहादुर, आत्मविश्वास तथा प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त कर लेता हैं।
(10) स्वास्थ्य रेखा-हथेली के मध्य, जीवन, रेखा, चन्द्रक्षेत्र से निकल कोई रेखा बुध के क्षेत्र कनिष्ठा अंगुली के क्षेत्र पर पहुँचने वाली रेखा को स्वस्थ रेखा कहते हैं। यह रेखा स्वास्थ्य पर शुभ-अशुभ प्रभाव डालती हैं। यह रेखा भस्तक रेखा, हृदय रेखा को काटे तो जातक के मस्तिष्क, हृदय दोनों ही कमजोर होते हैं। स्वास्थ्य रेखा जितनी उतम होगी, स्वास्थ्य उतना ही उत्तम होगा, विशेष जानकारी के लिए "स्वास्थ्य रेखा" देखे।
(11) विवाह रेखा-कनिष्ठा अंगुली के नीचे हाथ में बाहर की ओर . रेखा को विवाह रेखा कहते हैं। यह रेखा जितनी होती हैं। जातक उतनी स्त्रियों का संसर्ग सुख भोगता हैं यह रेखा शुद्ध और एक हो तो जातक एक पत्नी वाला होता हैं।
हस्त रेखा और आजीविका मंगल का पर्वत पृष्ट हो, हाथ की अंगुलियाँ छोटी हो तो जातक सैनिक होता है, मंगल, शनि का पर्वत श्रेष्ठ हो तो सेनानायक होता है।
शुक्र का पर्वत ऊँचा उठा हो, अगुष्ठ का अग्रभाग मोटा हो, अंगुलियाँ कोमल हों तो जातक फिल्म ऐक्टर होता है।
बुध पर्वत उठा हो, सूर्य रेखा प्रबल हो, अगुंलियाँ लम्बी हो तो जातक चिकित्सक होता है। चन्द्र का क्षेत्र उठा हो, मस्तिष्क रेखा लम्बी, सूर्य की अंगुली पुष्ट हो मणिबन्ध रेखा को दबाने वाला हो तो जातक फोटोग्राफर, चित्रकार होता
है।
गुरु का पर्वत ऊँचा हो, मस्तक रेखा लम्बी हो, बुध अंगुली नुकीली हो तो जातक विदेश में राजदूत अथवा हाई कमिश्नर होता है।