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भद्रबाहु संहिता
(जइ आइव्वोछिद्दो) यदि सूर्य में छेद दिखे तो (अह अकवीसेय दीसइ मझे) बीसवें दिन के अन्दर (तो जाणरायमरणं) राजा का मरण होगा ऐसा जानो (संगामो होई वरिसेण) और एक वर्ष में युद्ध होगा।
भावार्थ-यदि सूर्य में छेद दिखे तो, बीसवें दिन राजा का मरण होगा और एक वर्ष में युद्ध होगा ऐसा जानो।। ९९।।।
दिवसे उलूयहिंडति सब्वन वायसउ रयणीसु।
अरवंति पपुरविणासं भयं च रणं णिवेदेहि॥१०॥ (दिवसे उलूयहिंडति) यदि दिन में उल्लू घूमते दिखे (सव्वनवायसउ रयणोसु) पाधि में कुने पो हो नि पुरविणा समझो नगर का नाश होगा, (रणं च भयंणिवेदेहि) और युद्ध का भय होगा।
भावार्थ-यदि दिन में उल्लू घूमते दिखे वा रात्रि में कुत्तों के रोने का शब्द सुनाई पड़े तो राजा के नगर का नाश होगा और युद्ध का भय होगा॥१००।।
इन्द्र धनुष से शुभाशुभ रत्तिम्भिय इंद धणु अइदीसे एसोय सुक्किलभे।
सो कुणइ रत्थ भंगे रणस्स वीरोय पीडं च॥१०१॥ (रत्तिम्मियइंदधणु जइदीसे) यदि रात्रि में इन्द्र धनुष दिखे (एसोयसुक्किलभे) वह भी सफेद दिखे तो (रणस्सवीरोयपीडं च) युद्ध में वीर मरेंगे और (रत्थभंगे सो कुणइ) रथ भंग होंगे।
भावार्थ-यदि रात्रि में सफेद धनुष दिखे तो समझो युद्ध में रथों का नाश होकर वीर योद्धा जमीन पर लेट जायेंगे॥१०१॥
द्विवहे दीसइ धणुओ पुवेणयदक्खिणेण वामेण।
सो कुणइ णीरणासे वायंच व मुंचय बहुयं ॥१०॥ (दिवहे धणुओ) यदि दिन में इन्द्र धनुष (पुल्वेण यदक्खिणेण वामेण) पूर्व में या दक्षिण में या वाम भाग में दिखे तो (सो) वह (णीरणासे कुणइ) पानी का नाश करेगा, (वापंच व मुंचय बहुयं) और जोर से हवा चलायगा।