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निमित्त शास्त्रम्
भावार्थ-यदि सूर्य उदय के समय में अथवा अस्त होने के समय में वक्र होता हुआ दिखे तो शीघ्र ही राजा का मरण करता है॥ १२॥
जइ मच्छासरिमेणं मझेणय मयरणुबिअब्भेण।
ठायज्जड़ उठें तो लोयस्स भयणिवेएई ।।१३॥ (जइ) यदि सूर्यास्त के समय में (मयरणुबिअब्भेण) ज्वाज्वल्यमान (मच्छसरि मेणं मज्झेणय) मछली के आकार का सूर्य के अन्दर से (णायज्जइ उलुतो) चिह्न प्रकट होता हुआ दिखे तो (लोयस्सभयणिवेएई) लोगों के भय का कारण होता
भावार्थयदि सूर्याअस्त के समय सूर्य के अन्दर से ज्वाज्वल्यमान मछली के आकार का चिह्न उठता हुआ दिखे तो लोगों में भय होगा ऐसा समझो।। १३॥
णरणू वेण भेणं गीढो जड़ दीसइ समुटुंतो।
जं देसम्मि ज दीसइ छम्मासविणासएणं च॥१४॥ (णरणू वेण भेणं गीढोजइ) यदि सूर्य से लम्बी ज्वाला उठती हुई (दीसइ समुहतो) दिखे (जं देसम्मि जइ दीसइ) और जिस दिशा में दिखे तो उसी दिशा में (छम्मासविणासएणं च) छह महीने के अन्दर विनाश होता है।
भावार्थ-यदि सूर्य से लम्बी ज्वाला जिस दिशा में उठती हुई दिखे तो उसी दिशा में छह महीने के अन्दर विनाश होता है।। १४॥
अहसूरपास उइयो दीसइ पाडिसूरउज्जया विदिऊ।
मासे कुणइ पीडा रायाणं वाहिलोयं च ॥१५॥ (अहसूरपासउइयोदीसइ) यदि सूर्योदय के समय में (पाडिसूरउज्जयाविदिऊ) सूर्य के पास ही अगर दूसरा सूर्य दिखे तो (मासे) एक महीने में (रायाणं पीडाकुणइ) राजा को पीड़ा होगी (च) और (वाहिलोयं) प्रजा के लोगों को भी पीड़ा होगी।
___भावार्थ—यदि सूर्योदय के समय में सूर्य से दूसरा सूर्य उदय होता हुआ दिखे तो एक महीने में राजा व प्रजा को पीड़ा होगी ऐसा समझो ।। १५ ।।