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भद्रबाहुसंहिता
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विवेचन इक्कीसवाँ अध्याय केतु-वर्णन की प्रतिज्ञा
364 केतृओं चिह्न केतु का वर्ण के अनुसार फलादेश विकृत केतु का फल
366 केतु की शिखा के अनुसार पलादेश
366 गुल्म, विक्रान्त, कबध, मण्डली, मयूर, धूमनोतु धूमकेतु का विशेष फल
367 केतृदय का फल
369 विपथ केत का फल
370 स्वाति नक्षत्र में उहित केस का फल भय उत्पन्न करने वाले तुओं के नाम
371 उत्पात नहीं करनेवाले बेतु
372 केतु-शान्ति के पूजा-विधान की आवश्यकता विवेचन बाईसवाँ अध्याय सूर्य-चार के कथन की प्रतिज्ञा
380 उदय-काल में सूर्य की कान्ति के अनुरूप फल दिशाओं के अनुमार सुदय काल की आकृति का फलादेश शृगी वर्ण के सूर्य का फलादेश
383 अस्तकालीन सूर्य का फल
383 चन्द्र और सूर्य के पर्वकाल का फल
383 विवेचन
384 तेईसवाँ अध्याय चन्द्र-विचार और उसके शुभाशुभ निरूपण की प्रतिज्ञा
387 चन्द्रमा की गोन्नति का विचार
387 चन्द्रमा की आभा और वर्ण विचार
387 चतुर्थी, पंचमी आदि तिथियों में न्द्रमा की विकृति का फल
388 प्रतिपदा आदि तिथियों में चन्द्रमा में अन्य ग्रहों के प्रविष्ट होने का फल 389 चन्द्र-विषम का फल
389 विभिन्न वीथियों और नक्षत्रों में विवर्ण चन्द्र के गमन करने का फल 391 वैश्वानर आदिमागों में चन्द्रमा के विभिन्न प्रकार का फल
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