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प्रस्तावना
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यदि पृच्छक रास्ते में हो, शयनागार में हो, पालकीपर सवार हो, मोटर, साइकिल, घोड़े, हाथी आदि किसी भी सवारी पर सवार हो तथा हाथ में कुछ भी चीज न लिये हो, तो असंयुक्त प्रा होत है। कि चाक छिन् निश: की ओर मुंह कर प्रश्न करे तथा प्रश्न करते समय कुर्गी, टेबुल, बेंच अथवा अन्य लकड़ी की वस्तुओं को छूता हुआ या नौनता हुआ प्रश्न करे तो उन प्रश्न को भी असंयुक्त समझना चाहिए । असंयुक्त प्रश्न का फल प्राय: अनिष्टकार ही होता है।
यदि प्रश्न वाक्य का आद्याक्षर गा, जा, हा, दा, बा, ला, गा, गं, औ, ये, है, ल, सै, धि, झि, पि, धि, भि, बि, हि, को, झो, दो, यो, हो में ग कोई हो तो असंयुक्त प्रश्न होता है । इस प्रकार के असंयुक्त प्रश्न का फल अशुभ होता है।
प्रश्नकर्ता के प्रश्नाक्षरों में कब, ग, गध. पङ, छ, जश, झन, टठ, डल, ढण, तथ, थद, दध, धन, पफ, फल, बम, भग, यर, रल, लव, वण, शप, और सह इन वर्णों के क्रमश: विपर्यय होने पर परस्पर में पूर्व और उत्न र बर्ती हो जाने पर अर्थात् खक, गव, घग, घ, हाच, झज, जश, हट, हु, पद, थत, नथ, धद, नध, फा, बफ, भव, मभ, रय, लर, बल, पण, सप, और हा होने पर अभिहित प्रश्न होता है । इस प्रकार के प्रश्नाक्षरों के होने ने कार्य सिद्धि नहीं होती। प्रश्न वाक्य के विश्लेषण करने पर पंचम वर्ग के वर्णों की संख्या अधिक हो तो 'मी अभिहित प्रशन होता है । प्रश्न वाक्य का आरम्भ उपर्युक्त अक्षरों में संयोग से निप्पन्न वर्गों में हो तो अभिहित प्रश्न होता है । इस प्रकार के प्रश्न का फन भी अशुभ है। ___ अकार स्वर सहित और अन्य वनों से रहित अ क च त प य श इजण न म ये प्रश्नाक्षर या प्रश्नवाक्य के आद्याक्षर हों तो अनभिहित प्रश्न होता है। अनभिहित प्रश्नाक्षर स्ववर्गक्षारों में हो, तो व्याधि-पीड़ा और अन्य वर्गाक्षरों में हों तो शोक, सन्ताप, दुःख भय और पीड़ा पल होता है। जैग किसी व्यक्ति का प्रश्न वाक्य 'चमेली' है। इस वाक्य में आद्याक्षर में अ स्वर और लांजन का संयोग है, द्वितीय वर्ण 'मे' में ए रबर और म व्यंजन का संयोग है तथा तृतीय वर्ण ली में ई स्वर और ल व्यंजन का संयोग है । अत: च - अ---!- ए - ल् + ई इस विश्लेषण में अनच म ये तीन वर्ण अनभिहित, ई अभिमित, ए आलिंगित
और ल अभिहत संज्ञक है। "परस्परं शोधयित्वा थोऽधिकः स एव प्रश्नः" इस नियम के अनुसार यह प्रश्न अनभित हुआ: क्योंकि सबसे अधिक वर्ण अनभिहत प्रश्न के हैं । अथवा गुविधा के लिए प्रथम वर्ण जिरा प्रश्न या जिस संज्ञक हो उस प्रश्न को उसी संज्ञक मान लेना चाहिए, किन्तु वास्तविक फल जानने के लिए प्रश्न वाक्य में सबसे अधिक प्रश्नाक्ष र जिरा संज्ञक प्रश्न के हों, उसे उसी संज्ञक प्रश्न समझना चाहिए।
प्रश्नश्रेणी के सभी वर्ण चतुर्थ वर्ग और प्रथम वर्ग के हों अथवा एञ्चम वर्ग और द्वितीत वर्ग के हों तो अभिधातित प्रान होता है । इस प्रश्न का फल अत्यन्त