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त्रयोदशोऽध्याय:
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ग्राभ्या वा यदि वाऽरथा विका वसन्ति निर्भपम् ।
सेनायां संप्रयातायां 'स्वामिनोऽत्र भयं भवेत् ।।32॥ यदि प्रयाण करने वाली सेना में शहरी या ग्रामीण कौए निर्भय होकर निवास करें तो स्वामी को भय होता है ।।। 321
मथुनेन विपर्यासं यदा कविजातयः ।
रात्रौ दिवा च सेनायां स्वामिनो वधमादिशेत् ॥133॥ यदि प्रयाण करने वाली सेना में रात्रि या दिन में विजाति के प्राणी-पाय के साथ घोड़ा या गधा मथुन में विपर्यास-- उल्टी बिया करें, पुरुप का कार्य स्त्री और स्त्री का कार्य पुरुप करे तो स्वामी का वध होता है ।। 1 331।
चतुःपदानां मनुजा यदा कुर्वन्ति वाशितम् । __ मृगा वा पुरुषाणां तु तत्रापि स्वामिनो वधः ।।134॥ यदि चतुष्पद की आवाज मनुष्य करें अथवा पुरुषों की आवाज भृग.... पशु करें तो स्वामी का वध होता है 111 3411
एकपादस्त्रिपादी वा विचंगी यदि वाधिकः ।
प्रसूयते पशुर्यत्र यत्रापि सौपितको वधः ॥135॥ जहाँ एक गैर या तीन पैर वाला अथवा तीन सींग या सरो अधिक वाला पशु उत्पन्न हो तो स्वामी का वध होता है |!! 3511
अश्रपूर्णमुखादीनां शेरते च यदा भृशम् ।
पदान्विलिखमानास्तु या यत्य स बध्यते ।।।36॥ जिस गेना ने घोड़े अत्यन्त औरओं में गुन भरे लोक गायन करें अथवा ___ अपनी टाप रो जमीन को खोदें तो उनके राजा का कहना है ।।। 36।।
निष्कुट्यन्ति पादेर्वा भमौ बालान् किरना च।
प्रहृष्टाश्च प्रपश्यन्ति तत्र संग्राममादिशेत् ।। 137॥ जब थोड़े पैरों से धरती को कूटते हों अथवा भूमि में बनने वालों को गिरात हों और प्रसन्न-से दिखलाई पड़ते है। ता रांगा की सूचना समझनी चाहिए ।। 1 3711
न चरन्ति यदा ग्रामं न च पानं पिबन्ति वै।
श्वसन्ति वाऽपि धावन्ति विन्द्यादग्निभयं तदा ।।1381 ____!. सारियां।। मु.। 2 सौiii गुरु | 3. iii. | 4. गारिका पु. ।