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________________ जी सा• कोठिया वाराणसी के सहयोग के लिये भी हम माभारी है मा० कोठिया साल से स्वयं का तो सहयोग मिलता ही रहता है, वे दूसरों को भी प्रकारमी का सदस्य बनाने को भी प्रेरणा देते रहते हैं । अकादमी के अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल जी सा. पहाड़िया मद्रास के प्राकस्मिक निधन से संस्था को गहरी क्षति पहुंची है। पहाड़िया सा० मच्छे समाज सेवी थे तथा दक्षिण भारत में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते थे। वे मकादमी के प्रति पूर्ण सहयोग की भावना रखते थे। इस अवसर पर हम अकादमी की मोर से उनके प्रति हार्दिक श्रसाञ्जलि भपित करते हैं। नये संरक्षक सबस्यों का स्वागत षष्ठ पुरुष प्रकाशन के पश्चात् माननीय श्री रूपचन्द जी सा० कटारिया एवं श्री डालचन्द जी सा जैन सागर ने अकादमी के संरक्षक सदस्य बनने की स्वीकृति ती। कटना : समाज र वं मालिकाशन दोनों में पूर्ण वषि लेते हैं सषा बिना किसी प्रदर्शन के अपनी सेवापों से समाज को लाभान्वित करते रहते हैं। इसी तरह माननीय श्री दासबन्द जी सा० जैन मध्यप्रदेश में ही नहीं किन्तु पूरे देश में अपने सेवा भाषी जीवन के लिये प्रसित है। माप देश के जाने माने उद्योरपति है तथा अपनी उदारता एवं सरल स्वभाव के लिये सभी पोर लोकप्रिय हैं। हम दोनों ही महानुभावों का हार्दिक स्वागत करते हैं । नये अध्यक्ष का का स्वागत कलकत्ता निवासी श्री शोतिलाल जी साबन ने प्रकादमी के अध्यक्ष पद की स्वीकृति देकर अपने सहयोगी भावना का परिषय दिया है। पाप एक युवा ध्यक्सामी हैं तथा धार्मिक लगन वाले व्यक्ति हैं। मापने अभी इसी वर्ष श्री महावीर जी में सम्पन्न पञ्चकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में सौधर्म इन्द्र का यशस्वी स्थान लेकर अपनी धार्मिक रुचि का परिचय दिया था । अकादमी की पोर से हम मापका हार्षिक स्वागत करते हैं। वर्ष १९८३ में जिन महानुभावों ने प्रकादमी का उपाध्यक्ष बन कर संस्था को सहयोग दिया है उसके लिये हम सभी के हार्दिक माभारी हैं। ये महानुमाय है जयपुर के सर्व श्री धूपचन्दजी पांड्या, भरतकुमारसिंह जी पाटोदी, एवं श्री मोहन लाल जी मग्रवाल, वाराणसी की श्रीमती चमेलीदेवीजी कोठिया, देहली के श्रीशांति प्रसाद जी जैन एवं उज्जैन के श्री ललितकुमार जी जैन । श्री धूपबन्द जी पाझा युवा व्यवसामी हैं तथा सभी के प्रति सहयोग की भावना रखते हैं । धार्मिक (iii)
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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