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________________ कविवर परिमल्ल चौधरी दान का मोगों का निश्चय किया। इस अवसर पर छवि ने प्रजा के महत्व पर बहन गुन्दर प्रकाण डाला है राति बिन सोभा नहीं रहै, रायति बिम को राजा कहै । बिन खनि है मंत्री जिसी हूं राति बिन बोसो तसो ॥१२॥ x x x x रैयक्ति को हम उपर छांह, रपति बस हमारी बह ॥१५९।। प्रेस को समाने लोय, राजा प्रजा परावरि बोय ॥१६॥ मैनासुम्दरी जब सोलह वर्ष की हुई तब रूप एवं सौन्दर्य की गाणि बन गयी। जिसने उसके रूप को देखा उमी ने दांतों तले अंगुली दबा ली। मैना सुन्दरी का कवि के शब्दों में सौन्दर्य देखिये बोगस परव चाही परवान, कोष रूपन ताहि समाम । ताको पसो हेम करतु, मानौ तरप पूम्यो को चंदु । लोचन प्रचन मुबनत पति बने, यो बचत मृग सापक तने ॥२६॥ कष्टा दृष्टि मानु यह मान, मृकुटी कुटिल मनमप कमान । मार्च माग बिराज बार, मानौ मागमि के उनिहार ॥२७॥ कषि ने मैनासुन्दरी के प्रत्येक मंग के सौन्दर्य का वर्णन किया है जब मैना सुन्दरी को कोढी के साथ विवाह करने के समाचार सुने तो चारों ओर राणा को घिन्वारने तथा मति भ्रष्ट होने, विनाश होने के ताने सुनने को मिले । इसी प्रसंग में अपने २ कर्तव्य का पालन नहीं करने के कारण फिन २ का विनाश होता है इसका काव्य में बहुत ही सुन्दर वर्णन मिलता है। विनसे मंत्री संकापर, विनस राव मन्त्र तो टरे। विनसै भामिनी प्राइसुतजपिनसे पूक देशि रण म ।।४०४॥ विनस सु कोह परहर, पिनस लावु पादु जा करें। विनसंराता तथं विवेक, बिनस वाइम बल दिन एक ॥४०५।। श्रीपाल का कुष्ट रोग मिचक्रन्नत पूजा के प्रभाव से गया था। मैना सुन्दरी ने पूर्ण पास्था एवं विधि के साथ इस व्रत का विधान किया था । मन्तिम तीन दिन तक गन्धोदक से स्नान करने पर श्रीपाल का कुण्ट रोग दूर हुमा था।
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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