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________________ बाई अजीतमति एवं उसके समकालीन कवि अष्ट महाविध भोग | पुरुष नारी बेहते थयां ए रोग संतान दीसि नहीं ए । पामया पुण्य संयोग ।। ५१ ।। गंधवसेन राजा ए' लयो ए। बेहेन तो प्रत्याय ॥ तब बंराग्य मन बसो एष गुण संजम पायो प्रति निर्मलोप वी की एह अवतरघो ए गंभव श्री बेटी रायनीए तप करी सोखी काय || सेमर करि उपनीए । ममृतावी रूपठाय ॥ ५४ ॥ भीम देवर जे तेहनोएले भनें करो जार ।। पोका पाराणि कलिए । कुबडो वो गमार ।। ५५ ।। पूर भवि शासक इसी ए नाही प्रपार ।। पुणे भवि नेह तिम धरयो ए A नाणं बांध असार । मारीत विचार ॥५३॥ राम मंत्री विद्याधर हवो ए । पालीय प्रावकाचार | मेमरी करी भवतश्यो ए। अमोमती कुमार ।। ५७ ।। चरेश राजे बीयावरीए । तेणे करमो धर्म बा || कुसुमावली सही हवी | परणी जसोमती जाए ||५|| चित्रांगद बापत सो ए। तेरो छोड दराज ॥ नापस धीमा मादरी ए । कुतप कर मुखका ।।५१ कुती मात्रा कीधी बली ए । घाइयो दीदी स्पन || देवी देवी मोह पांमयो । नाणो माध्यु अज्ञान ।।६० मरी करी ते देवी इषोए। मारीदत सुग्गो विचार || ना मत पारवे मोह कर मं प्रसार ।। ६१॥ मारी निज भरतार ।। ५६ ।। 2 रेखा माय त सरणीए ती पाप कश्यो दीन रात || रवानद मरी ते हवो ए| घणो कराज्यो जीवबात ।। ६२ ।। माया जीव माटि मोह धरणोए संसार माहि जीव व ए यसोष पिता जे यश ते मरी भगदत्त राम सुत ए सह जाणो सही राय ।। भए । मिथ्या लग्गो पसाय ।। ६३|| गंधर्व राणी कोय मरी हवी 2 वषालु भइ परिणाम || वो सुदत्त सुनाम ।। ६४ ।। ए चंद्रलक्ष्मी यसोहु नार ॥ मिष्यात फले मरी घोडो बीए | महीने में इमो विचार ||६५।। T
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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