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________________ बाई जीतती एवं उनके समकालीन कवि पूर्व कथा राज रुडं जो तझ भने । तो ए छोडो कांय ॥ गोलि बालक छे तारीमि । चतुरछे तारो न जाय ॥६॥ 2 कन्या मित्र मानि का राज लीयो त आज || जिमनीसल्य राय तप लीखि । पछि फौजो श्रातम काज ॥ १० ॥ तव में ते बोल मानीयो । रायें नीज पद दीघ ॥ दोन पूजा क्षम तप करी । सत्य रहीत मन की ।। ११ ।। ef श्रीमना निगदितं ज्ञानं सदष्टांगकं ॥ वृत्तं तस्त्रिदशाचितं त्रिवास भवोद्धक ॥ सद्गबोध सुवृत्त कानिगदिता न्ययैिः सुरत्नानि में 13 देवेन्द्रविक्रममुतपदं कुर्वंतु वो मंगलं ||4|| इति श्री यशोधरमहाराजचरिते रासचूडामणौ काव्यप्रतिछंदै । भूदे कवि श्रीविक्रमसुत देवेन्द्रविरचिते । यशोमती राजपायाद्विनी गंमनमुनिदर्शन प्राप्तक्रोध कल्याणमित्रयोग | नृपलब्ध प्रतिबोधयसोमती वैराग्य लक्ष्य भयरुचि । राज्यांगी का रथ नोनाम मष्टमोऽधिकारः ॥ ८ ॥ नवम अधfere X X X X भास गीता छंदनी — गोर गोरे व वीनवूए 1 मुनीवर स्वामी बोलीया ए । मधुरीय सुललीत वाण ।। सोष यसोभर जसोमती ए । सह्य प्रायि भवांतर खाए || १|| पुष्य पाप फल जूजुधा ए । भवतणु विस्तार ॥ inपुर छि सोहम ए गंधर्व राजा उदार || २ || N व्यंऊती राणी तिसरणी ए । रूप सोभागनी खारा ।। से नेहू कूति उपनोए । बर्बसेन कूपर बाण ॥ ३॥ बली तेह्र पुत्री ही कहोए । गंघर्ष सेना नाम || रूपसोभाग सोहामणीए । सयल कलागुण ठाम ||४| तेह राजानो मंत्री सोए । राम नाम विख्यात ॥ तस नारी चन्द्ररेखा सहीए । रूप लक्षण सुजात ॥५॥ २८७
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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