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यशोधर रास
अबंती रेवती सही ।०। सेबत्री संदुवार ||स०॥ वंधु कराता फूलीया पि० करी भमरा रण झणकार ।।२।। केलघणी कोडाभरणी ।१०। द्वाख मंडप विसाल ||स०।। एलचि फूलि लची रही।प। मरी झूबका गुणमाल ।स।२६।। नागबेलना मंसप प०1 छाया सीतल होय ।स। ईशु वंड बाही घणी ।२० अरहं बहू पेर जोय सा२७।। रायतणी अंतेउरी ।१०। प्राधी कनुको साथ ॥स०॥
लखी मोती बना I मजीद्या मह त स०।।२।। राय याव्यो वन खेलवा ।१०। खलवारू संजूत ||स०॥ हामीयडा बहूँ प्रागल पि०। रथचालिहा संजूत सि ॥२६॥ सणगारचा घणा जलमती । | गज प्रबगाह छि कोटि ।।स।। सामंत छत्री परवरयो ।10। प्रागल पाला कोड स.||३०|| हय बेसी राम घालीयो ।१०। उजल व सोहता ।।स०॥
गज अवगाह चमर ढालि ।प०। जाये इंद्र मोहंत स०॥३१॥ राजा की सुन्दरता
के रूपि काम कहूं 1401 के नल का कुवेर ।1०॥ नाग कूअर के दिलु प०। धीर गुणि काहू मेर सम्॥३२।। सायर समए गंभीर प| पिम चौति नरनार ||स०1।
ठाम ठाम नुप जोपंती पण करे ए जय जय कार स॥३३॥ राजा की सेवा
एक मोती से वधावती प०! एफ भामणा लेय ||सा' एक ते फूलि पूजती ।प०। एक ते प्रासीस देय ॥३४॥ एक ते लाजा वीखरती १० लेती नृप गुप एक ॥स०॥ जीवनंद एक बोलती प०। एक ते विनय विवेक स० ॥३५।। नगरी पोलथो नीकल्यो ।प० दीठ तव जयान स०॥ पंखी साद सोहामणी प० बन जाणे दीथि मान ।स०॥३६॥ झीलोवाम तरुवर लहकि ।१०। फूसह रज ऊडाय ॥४०॥ थमखीन जाणी राय ने 1०। ए बीजणे पालि बाय |स०१३७॥ फूल पडि तिहां परी परी ।१०। उद्यान जाणे वधावनी ।स।। घलहर कलस सोना तरणे ।१०। सिखर यजा लिहिकाबि स॥३८॥