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________________ यशोधर रास मोरडीए नापी खांष। ई लीधो फांटि ग्रहीए । वाटिए प्रावतां मोरी। कोटवालें लीधी सहीए ॥१३॥ पारधीने दीधी गाल । ठासु ते घिर अावीयो ऐ॥ नारीम ए देवे गाल । गलुते नव्य भाषीयो ए Int खासे ए मोटा पाहाण। हाणवासीर सीद गयो । बालीयो ए पहूटा मांहिं ।। कोटवाल नेहूं वेवीयोए १११॥ पोडीए मूलज माठा । हूं राय नहटें वेषाईयोए ।। संसार ए मंड एम । करम नटावे नसावीयोए ॥१६॥ कोदवा ए जसोमती राय । भेट का घरे लेई गयो ए॥ जतन ए काजे तेग, पांजरा माहि हूं ठप्पो ए ॥१७॥ करण घणाए। चरणीपीयू नीर । सनें सने योषन हवों पy सोभतो ए मझ कलाक। पंचवरण तब अभीनयो ए॥१८॥ एक बार ए जसोमती राय । प्रागलई भेट परयो ए॥ देखीयो समझ स्वस्प । मोह राप मर्ने बीस्तरघो ए १m प्रांग, ग ही खेलंत । मोती चोकनि मंजतु ए " बोलतु एमपुरी भास । राम तणे मन रंजतो ए॥२०॥ नारीने ए नेरि नाद । पाय पाय होडू नाचतु ए॥ ऊडीय ए बेसू प्रवास । मेघ देखी घसं चतु प २१०० स्वान का जन्म सेना चन्द्रमतीय एजे मझ माल । भरी करी स्थान हो एF चंचल कर अपार । अवतरको जाणे जम अयों ए ॥२२॥ मसोमती ए भावयो भेट । राबने तब मोह ऊपनों ए ।। वामती इबानी फाल । पारध सारथी नीपनो ए॥२३॥ मो वन ए सांकल कोड । पंचवरा झूल सोहयो ए । दौसे ए प्रति विकराल । नयस बोहाममो जोपको ए २१ मोर का कुबरे पर आक्रमण एक समि ए मोर हूं जाण । अमृतमती प्रवासि बढयों एः ।। कुबडो नासी संघास । खेलतो दृष्टे पडभो ए ।।२।।
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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