SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ PRV यझोषर रास विनय विना यम शीष । विवेक विना जम बातमी ॥ज०॥ कंत विना तिम नार । किम हूं सोनु वापसी ।।जगा॥ तारा विण जिभ चन्द्र । चंद्र दिना जिम रातडी ज०॥ कंत विना सिम नार । केम सोहूं हूँ बातडी जि॥६॥ प्रांषडी विना यामि मुख । अंजन विण जिम प्रांखडी जिला कंत विना तिम नार । के महू सोह' बापड़ी ।।जा दया बिना जिम धर्म । श्रावक विण जिम' प्रांखडी ।।ज०॥ कंत विना तिम नार । केमहू जी बापड़ी ।।ज०॥८॥ सरोवर कमल विहीन । कमल विण जैम पांखी जा कंत बिना सिम नार । केमहू जी बापडी ||०६॥ मुकुट विना जेम भूप । मणी विण बीटी कनक षडी ॥ज०॥ कंत विना तिम नार 1 केमहू जी बापड़ी ।।जय।।१०॥ मोहत बिना जीम प्रेम । प्रेम घिना जिम भेटसी ज०॥ कंत विना सिम नार । केमहू जीयू बापडी ॥११॥ दान विता जिम कोत्ति । कीति विना नर गोरठी ।।जा मंत बिना तिमनार । किम जी बापडी ज०॥१२॥ परिमल विरा जिम फूल | फूल फल विण वन जिसो ज०॥ गुण विरण हार विचार । नारी भव कंत विण तसो पज॥१३।। पुत्र विना जिम वंश । हंस पीना देह जसो ज०।। मद विण हाथी जेम ! नारी भव कंत विण तसो ज०॥१३॥ वेग धिना जिम अश्य । धन धिन नवयौवनाम ||ज०॥ न्याय विना जिम राय । नारी भव फंत बिण तसो ।।अ॥१५॥ रामा विष जम गेह । गेह सुपात्र बिना जसो ॥ज०॥ विद्वांस विणा सभा जेम । नारी भव कंत विण तसो ज०॥१६॥ कंट बिना जेम गान | ध्यान क्षमा मिण मुनी जिसो जि०॥ समक्ति विण प्राचार । नारी भव कंत बिण तसो ज०मा १७॥ देवल विरण जम गाम । वेब वीना देउल जसो [ज बाद कला विण शास्त्र । नारी भव कल विप तसो ।।ज०।१७।। लवा बिना जिम पाकः । वृत्त बिना भोजन जिसो जि०॥ भाव विना शुभ काम । नारी भव कंत दिरण तसो ॥ज०॥१६॥
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy