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चाई अजीतमती एवं उसके समकालीन कवि
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खड़ग करि घरधो पुजिइ ए ।ना०। राणि प्ररी पण सवाद ।। वैरी रुधीर पीअंतडाए ।ना० सीस धूणी वषाणि संवाद ।।९11 खडग ए तेजनो पूजलोए ।ना०।। झबकि झबकि ए सूर ।। तेज सही नहीं सकिए ना। गगनि पीरि नीत भूर ॥१०|| ग्खड़ग ए मोटो दीवडो ए ना। परीप्ररण सोखिमंग ।। तेज तेनू सहि नहीं ए ।नाo] पटि वेरी पतंग ||११॥
डग दीवा काजल रेखाए ।ना। काली रणगिरिण जोय ।। तेह देसी वीरा । नाल गुमा होस । रुधीर भरयो हय गय तरीए ।ना०। र सागर परचंड ।। तीहा विरीदल बुडमांए ।ना। खड़ग एम करंड ।।१।। बडग भडके भुयि द्रम द्रमा ए ॥नाol कम कमि कायर कोई । परघापि गीरीवर प्रसिए ।ना०। मझधर वानूपायि कोड ॥१४।। खडग सहलि संजोगथी ए मा ऊषि अग्नी फलींग ।। संग्राम क्षेत्र स्थीरि सींचू ए पाना०। प्रताप वीज वाबू चंग ॥१५॥ खड़गमाहि प्रतिबिवऊ ए ।ना०। सोलू रण भोमि ।। जय लक्ष्मीवर वाजणेग ।ना। नील वस्त्र वीटयो जिम !।१६।। विरी करी फु'भस्थल ए ना मैदया खडांग वाणि ।। मंगलकाजि ए खड़गनि ए राना मोती भडे हबू स्नान ||१७|| हूँए हबो प्रतापियो ए नाम खरगए हवो विसाल ।।
शिम हां एणि करी ए राना०। कूबडो ए अबला बाल ।।१८।। राना का चिन्तन
कोप्यो जुह बहु सिंहलो ए ना०। परा नव्य हरिण सीयाल तिम हूँ कोप्पो किम हां ए नाका कूबडोए अयला घाल ॥१६॥ कोप्यो सूर संग्राम माहिए ना। न होए ना हाकानो काल " तिम हू कोप्यो किम हां, ए ना। कूबडो ए अबला बाल ।।२।। प्रचंड वायु तृण नव्य ऊखेडे ।ना। जेसह पाडिऊ माल ।। तिमहू कोप्यो किम हणं ए राना०। कुछडो ए अबला बाल ।।२१।। ससलासू हाथी धामिनहींए ।ना जे पाहि गिरीवर माल । तिम हू कोप्यो किम हां, ए |ना0कूबडो ए अवला बाल ।।२२।। वाघमकारयो वीर सूवदिए ना स्वान सूनव्य दीपि भाल ।। तीमहू कोप्यो किम हणं, ए ना। कूबडो ए अवला बाल ॥२३॥