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________________ २.४ यशोधर रास एरिण परें रे, ब्यरहरणी ससी सूखीजती । संजोगणी रे, किरण लागि घणं, रीझती ॥३४।। बही सय में सभा सज्जन सहू, प्रावस्या नीज ठाम । हूँ उठयो ऊतावलो, मनिम्हा अमृता नाम ॥१॥ रसनवंश परतीरिण समि, मंचूकी भाव्यो जेम ।। अमृता पवासि पधारीपि. हरष उपनो मुझ तेम ।।२।। भूख्यो दिन बिध्यार नु, पंचामृत लाहि जैम ।। तरसो सीसोदकि लहि, हरष उपनु मुझ तेम ॥३॥ तावड घणं संतापयो, फलो तरु सहि जेम । विनयवली दान गुण लहि, हरष ऊपनो मुझ तेम ॥॥ रूपवंत निवली भयो, भण्यो विगग मुश र ! विनय वली दान गुण लहि, हरष ऊपनो मुझ तेम ।।५।। दुष वली साकर भली, मंदी मली मगि ओम ॥ चन अर्थि निधि पामयो, हरष ऊपनु मुझ तेम ॥६॥ श्रीमतः परमेष्ठिनो मृशमपाध्यायाः कृताध्यापकाः ।। शिष्यारणा प्रतिशिष्यकादिमुनिनामेकादपांगानि ।। पूर्वाश्येक चतुर्दशादृतमाचाराः पटतः सदा ॥ श्रीदेवेन्द्रसविक्रमस्तुतपदा: कुर्वन्तु वो मंगलं ॥१॥ इति पशोधरमहाराजचरिते रामभूडामणी काम्पप्रतिछंदे भूदेवकवि श्रीविक्रमसुम देवेन्द्रविरचिते वसंतक्रीडाराजसभास्थिति प्रगटित विरहपट्टराजीवर्णन सूर्यास्त चन्द्रोदयवर्णनो नाम पसुर्थोऽधिकारः ॥४॥ पंचम अधिकार भास मारवंदानी को भणंग सबहू काल्यो रंग भरी । प्राणदारे । मध्यवक्त परमाहिती। अंगरक्ष सापि सही पा पोस उसंषी चाहितो ॥१॥
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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