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यशोपर पास
गुरवी प्रभाचंद मनि रली ए 1 वादी चंद, सेविं जयदेव वली ए ।। राय बसोधर कोजामणो ए । राजभार परयो सोहामणो ए॥ सामंत क्षत्रीयें परवरयो ए 1 सपांग राज अलेकरयो ए ।।१८।। काल घणो राज भोगविए । रणि वरीयना दल जोगवि ए ।।
प्रगट प्रतापि परयों ए 1 बहूदाने देखीयाँ दुःख चूरयो ए ॥१६।। राज्याभिषेक करना
एक दीवसिह देखीयो ए । रांयप्रबल प्रतापि लेखीयोए । राज्य देवा उधम करिए । बहू जोसी तेडी मुहत्तं परिए ॥२०॥ राय राणा तेडा वयाए । बहू भेट लेइ ते प्राषयाए ॥ जलदेवता पूजी करीए । घणा कनक कलस प्राण्या जल भरीए ।।२१।। कनक सिंघासन प्रापीए । परिण उछवि हैं तिहारो पीयोए । मोतीय चोक पूराषयोए । नारी तिलक करी वनाधीयो ए ॥२२॥ वाजिक वाजतां बहू पिरिए । राय कलस हामि लेन करीए । सुभ लगनि सीर हालीया ए । तब जय जय कार सहूयें कीया ए ॥२३॥ पट्टबंष सीर बांधीयो ए । तव राय राणे पाराधीयो ए मुगट माथि काने कुडल ग । तेजि जीत्या रवी शसी मंडल ए. 1|२४|| कनकमाला मोती सोहिए । मामला प्रमाणि मन मोहिए । हाथ सांकला राज मुद्रका ए | सोहासरण कीधी मारातिका ए ॥१२॥ राय जसोध उभो रह्यो ए । मुम प्रागलि कनक दंड प्रमो ए । राप राणा प्रागंभीमाए । सब ऊभा रह्या जाणे थंभीया ए ||२६|| बिनय करीय सोर्घ वदिए । लाज्यों हूँ पीता देखी नीचे पदिए ।
राय मुझ वपन श्रीकारी थिए । राय राणा जूहार अवधारीयिए ॥२७।। राज्याभिषेक में विभिन्न देशों के राजामों का प्रागमन
अंग नमी म के भेटणं, ए ! बंगरायनि मान दीयो षण ए ।। राय कुतल केरल तणाए । एह नि दृष्टि प्रसाद कीजि घणाए ॥२८।। कोसल मगध देस राय नमें ए । एइनि प्रति नमीजि जो मन गमे ए ।। नमि कनर प्रवड पणी ए । एहनें वधन कृपा कीजे धरणी ए ॥२६॥ कलिंगराय निमें चीत दीजीयिए। नीखधरायमु जुहार ते लीजीयए। नमन नयन बचन रसिए । केता हस्ति ममंगि थोडि हसिए ।॥३०॥