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बाई अजीतगति एवं उसके समकालीन कवि
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राय राणा महाजन बहू । सह तेडी दीपो मांन । श्रीफल' फोफल पूर । कपूर देवाय सू सूपान ।।२२॥ केसर कपुर छोटणा । प्रति धरणां चूना पांपेल ! तिनक करी मोती चोटियां । प्रबीर नाषि करे गेल ।।२३।। होल नीसारण ध्र.सू किए । मूकिए रीपू सुपी भान ॥ सरणगार सू गजगामिनी । कामिनी करि गीत मान ॥२४॥ मोती पडे वधावी करी। कार उद्धरयो सेणी वार । सजनिहू घोडि चडाययो । भारोदत्तव अवधार ।।२।। कुंकुम पूजी बधावीभो । हय गलि टोडर ललकि ।। घूधर माल कनक तणी । चालतहां घणं षकिं ।।२६।। तबह वह तणगारयो 1 भारयो सणगार भार ।। रतन मुगट प्रति झलकि । ललकि कुडल सार ॥२७॥ नल घट दीउ पिरवरू' । सिरि प्रसावि जगाजोत ॥
आंजी प्रांखडी पदम पांखडी । पद कडी कीरण उद्योत ॥२०॥ विभिन्न उत्सव
मामला म न भूक्ताफल । ललकिंतरवर हार ।। रतन जहित वाजू छिहिरणा । करें वीटी वेदु अपार ॥२९।। कटि खल के कटि मेखला ! रतन पाउडी सोहि पाय ।। सहथी पारा असार । पालनु पार नही पाय ३० ।।३०।। गज प्रवगाह चमर कल । रमणीमा सिर बह छ । पंच वरण धज कर हरि, पटकुल तणी प्र विचित्र ॥३१॥ बाजीय नाद संम्भल करी, घिर घिर नारी उछाह ।। वरजो वारणि कारणी। साद करि माहोमाह ।।३२॥ एक प्रोती मोतीहारडो । दोरहो बीटीने पाय ।। चालतां धांथी खडो । खू चिजे मोती चंपाय ।।३३।। एक मामूषण करी तीय । मतीय ऊतावली थाय ।। फानें कंकण करें कु'डल 1 पिहिरती प्रतीय संकाय ।। ३४।। एक बालका सलाकाकरी। मांजीऊं नयनछि एक 11 जोवा मावते ऊतावली । विकल निनोहि वीवेक ॥३५॥1 एक बायतू मूकी बालक । दालका जोवानि जाय ।। पोहानि थाने सीचे सेण्डी । गोरड़ भीर झील भीजाय ।।३६॥