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________________ चाई अजीतमति एवं उसके समकालीन कांव १७ सालको राणी तेह तणी, रूप सोभा गनि रेह ।। ससी वयणी मृगलोचनी, अनेक कला गुण गेह ॥४॥ ते बेहू कूखि ऊपनी, प्रभृतमती तेह नाम । कुअरी अतीही कोडामणी, रूप योवन गुणठाम ॥५॥ ते मंत्री रायनि मल्यो, राय दीपो बहुमान | कीधी बात वीवाहनी, प्रापी लेष नीघांन ।।६।। लेख वांची भाव जाणीयो, प्राणीयो राय प्रानंद ॥ चंद्रिका सम ए कुअरी, यशोषर कूपर ते चन्द्र ।।७।। इम बोली महोछव घरिण । नीश्चय वचन ते कीध ।। कुंकुम केसर छांटों, श्रीफल फोफल दीध ।।८।। वाने मंत्री पूजीयो, लगन लेई करी चंग ।। मंत्री उजेंगी प्रावीयो, रा प्रति को सहू रंग ॥६॥ मास बोबाहलानी यूवराज का विवाह रंगधरी बीवाह अनो। प्रत घणो माङयो उछाह ।। घबल मंगल घणं गावता । मूर्त ली| घरी उमाह ॥१॥ मंडप यंम रतना तणा । प्रती पणा वीसि महंत ।। फटकतणा वली शोभता 1 पाट वीचीत्र दीसंत ।।२।। पंच वरण रतना तसा । खरण विस्तीर्ण वीशाल 11 परवाली तपां नालीया । मालीयां मोती माल ॥३॥ तोरण नील रतन तणां । झगमगि प्रतीही अपार ॥ चमर ठाम ठाम बांधीया । सोहि ताहो फूलहार ।।४॥ चोक रतन तणा झलकि । ललकि मोतीनी दाम ॥ कनक कलस बहू ललकि । बहकि अगर ठाम ठाम ॥५॥ नील उत्पल रचना पणी । मोतीना साश्रीया सार ।। पहकोलि घणं, छायो । सोहीउ पंचवरण सुवीचार ।।६।। ठाम ठांम कंकोत्री लखी । अनेक तेडावपा राय । पकवान पिर पोढी दीसि । कंदोई घणारनी पाय ॥७॥
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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