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सई अजीत मति एवं उसके समकालीन कबि
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अर्द्ध चंद्र फरसी बडि नो०। जाणे मम तणी डाळ ।। मद्यपान करि घणए नाका हाक कठि अनी गाढ ॥२॥ हाथे प्रगनना खापरी ना०॥ लोह काछी करि उन्ही ।। जीभि पारि ज्वाला पीयि ||ना०|| प्रागी प्राकाहावि खेद ज्ञान ॥३॥ गुपत खड़ग के तावहि ||ना०॥ गरन केलला भीडमाल । लोह जूडीला कडी धरि ना। बली छरी विकराल ।।४11 को शनिंगी बजावता ना०|| दुर्घर शौंगडां नाद ।। शंख बजावि ते सवि ।।ना। मांहो माहि करि वाद ||५||
खि भांग धतूरडो ॥ना || राता नेअछि तेह ॥ तू बडी पत्र घणो धरि ||ना ॥ भीष मांगि गेह गेह ॥६॥ केटला कोट कांथडौ ॥नाग। चीथरां माला हार ॥ चीथडायु टोप शिर घरि ||ना०॥ केटला शिर जटा भार ।।७।। .. सो मुदा दिनेला । स पूर बेहू बांग । लडथडता हीडि घणमा || गाचि करि गीत गान ।।६।। हाथे दोरयां कूचरर्या ॥ना| रीछा केतला हाथ ।। चीत्रा वाघ बचां घरया |ना केटला मांकडा साथि ।।६।। किनरी जंत्र बजाक्ता ना० सेता गोरख नाम । विलय वा ह्या भुला भमि ना! पाप मिथ्यातनो ठाम |1१०11 जोगरिए साथि साकोतरी नाO डाकिणी सांकिणी भेव ।। जाणे पालती व्यंतरी नाOII नाक तणां तरा छेद ॥११॥ अस्थि तणां काने कुडल | नाता। संखलाना गलि हार || अस्थि तणा हाथे कहा ॥ना011 कोट सीगी सणगार ।।१२।।
व्यं ताल काल पंचाक्षरा |ना०॥ चेडा चेटक भनेक । कामण मोहण उच्चाटणा ना! कूड कपट अविओक ।।१३॥ विषयी विसनी जुमारीया ॥ना०|| जूठा बोला जपाट ।। प्रापें भूला पर भोलवि ॥नाना ते किम दाखि सुवाटि ||१४|| एहता जोगी जोगिए मली ॥ना०|| देक्षो भैरवानंद ॥ लोकमानि मिथ्यातीया ||नाot| विवेक नहीं मतिमंद ।।१५।।