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यशोधर राम
इति श्री यशोधर-महाराज-चरिये रासचूडामणो काध्य प्रतिछन्वे भदेव कवि भी विक्रमसुतदेवेन्द्रविरचिते श्रेणिक समवधारणा प्रागमन महावी रस्तवन भोगौतम प्रश्नकरणो नाम प्रथमोऽधिकार ।।१।।
द्वितीय अधिकार
मास हसीनो यशोषर राणाको कपा
गौतम स्वामी वेव | मपरीय वागी उच्चरया हेल ।। वंत किरणें करी हेव । जनमनना तिमिर हरया हेल ।।१।। मुरगी श्रेणिक सुविचार | राय जसोषर कवा तरणो हल ।। पछि दया भंडार । छेदसि मिथ्यातनो घणो हेस ||२|| प्रगटि दया अपार । पुण्य होय एह सामलि हेल ।।
पाप तपो निरवार । मन तणा संसय सहरले हेन । योष देश वर्णन
अंजीप मझार । भरत क्षेत्र भावि भणो हेल ।। पारज खंड तेह ठाय । योष देश कोगमणो हेल |भा कुकुंट पाति गाम । ठाम ठाम सोहि रुपमा हेल ॥ . प्रनेक लोक विनाम | सजन पसि धर्मी घणा हेल शा गिरि कंदरा वनमाहि । हाथी हीहि तिहां मलयता हेल ।। सीतल तस्बर छाहि । हापणी सूरहींजि खेलता हेल ||६|| कहीं एक हरीणा रान हरी ने भय नाहा ठो फरि हेल ॥ मुनीवर भरयां ध्यान । तेहि तशी मात्रम अनुसरि हेल IIII वाडी धन ठाम ठाम । कपूर कदलो कोमस्न दीसि हेल । नालकेर खजूर । पूग तणां तर परही से हेल || ताल तमाल हे ताल । सरल सोहि वजन समा हेल ।। कोमल मध्य रसाल । देवदाह प्रादि उत्तमा हेल || तज पत्रज मागवेल । एलची सघी फलें करी हेल ।। जायफल सवंगह मेल । मरी घेलछि भमके भरी हेल ॥१०॥ द्रास्व मंडप विसाल । छाया फल फरी लंक हेल ॥ पंथीया तीणि काल । भूष तरस तह विसर्पा हेल ।।११।। सरोवर नीमल नीर | काल पोयणे घणं मंडीईयो हेर।। माया वनह गंभीर । देखी माननी मान छडीया हेल ॥१२॥