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________________ १०२ भट्टारक महेन्द्रकीति महेन्द्रकीति सं० १७६६ में भट्टाक गाी पर अभिषिक्त हुए थे ऐसा उन्लेख भट्टारक पटावलियों में मिलता है। महेन्द्रकीत्ति के चार वर्ष पश्चात् ही संवत् १७७६ में भहारक भनन्तकीति का राष्ट्राभिषेक होने का उल्लेख मिलता है जिसमें महेन्द्रकीति का समय संबद १७६६--१७७३ नवा (सन् १२१२ से १५१६) तक का निश्चित होता है और इसके माधार पर उनके सभी पद १८वीं शताब्दि के प्रथम चरण में निर्मित लगते है। महेन्द्रकीति भद्रारक थे। पदों के मूल्यांकन से पता चलता है कि वे प्राध्यत्मिकता को और अधिक रूचि रखते थे अभी तक इनके बितने पद उपलब्य हए हैं लेकिन वे सभी पद भाव भाषा की दृष्टि से उत्तम पद हैं। भ्रमस्यू भूलि रयो संसार–प्रस्तुत पाद में ववि ने प्रत्येक अन्तरे में उदाहरणों द्वारा यह प्रागो मोह मगन होकर प्रात्मा को किस प्रकार भूल बैठा है इसका प्रच्छा वर्णन किया है। यह प्राणी व्यर्थ ही मोह के वश होकर अपने पापको परतन्त्र कर लेता है और उलटे कार्य करने में ही सुख मान बंटता है । यह मानव बन्दर, तोता, स्वान, सिह, हाथी. हिरण प्रादि के समान विपरीत कार्य करने पर भी अपने पापको सूत्री मानने लगता है और मृग तृष्णा के समान दिन रात फिरता रहता है। (२) मेरो पन विषयाही स्युराच्यो--- पद में कदि ने मानव की वास्तविक स्थिति प्रस्तुत की है कि वह जीवन भर मृत्यु के अन्तिम क्षण तक स्त्री, कुटुम्ब, धन संपत्ति प्रादि में ही मगन रहता है और अपने प्रात्म माल्यारा की पोर तनिक भी ध्यान नहीं देता। (३) साधो अद्भुत निधि घर माही एवं साधो अद्भुत निधि धरि पाई-म दो पदों में मानव को अपनी निधि को पहिचानने का प्राग्रह किया है। यह मानद अपनी प्रात्मा को मूलकर उसे अन्यत्र देने का प्रयास करता हैं । जब कि प्रात्मा का शरीर में तिलों में तेल, काष्ठ में अग्नि के समान वास रहता है। (४) देखो कर्म की गति न्यारी-इस पद में कवि ने रावण, मन्दोदरी, राम सीता, यशोधर राजा अम्रित देवी राणी, माता चन्द्रमती मादि के जीवन में घटित घटनाओं की पोर पाठक का ध्यान प्राकृष्ट करते हुए कर्मों की विचित्र लीला का माछा चित्र उतारा है और पन्त में भगवान जिनेन्द्र की माराधना में ही कर्मों के जाल से छुटकारा मिल सकता है इसका वर्णन किया है।
SR No.090071
Book TitleBai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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