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आराधनासार के प्रस्तुत संस्करण के संयोजन-सम्पादन का भार मुझ अल्पज्ञ पर डालकर पूज्य आर्यिकाश्री ने मुझ पर जो अनुग्रह क्रिया है एतदर्थ मैं आपका कृतज्ञ हूँ। मैं पूज्य माताजी के श्रीचरणों में सविनय वन्दामि निवेदन करता हूँ।
संघस्था डॉ. प्रमिला बहिन के प्रति भी उनके अनन्य सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता हूँ। ग्रन्थ के प्रकाशन में अर्थ सहयोग प्रदान करने वाले श्री हीरालालजी, जिनेन्द्रकुमारजी, भागचन्दजी बड़जात्या नागौर निवासी, प्रवासी हनुमानगढ़ टाउन (राज.) को हार्दिक धन्यवाद
देता हूँ।
कम्प्यूटर कार्य के लिए निधि कम्प्यूटर्स के श्री क्षेमंकर पाटनी व उनके सहयोगियों को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ। त्वरित मुद्रण के लिए हिन्दुस्तान प्रिंटिंग हाउस, जोधपुर को साधुवाद देता
मेरे प्रमाद व अज्ञान से भूलें रह जाना स्वाभाविक है। पाठकों से सविनय अनुरोध है कि वे क्षमा प्रदान करते हुए सौहार्दभाव से मुझे उन भूलों से अवगत कराने की अनुकम्पा करें।
दीपमालिका ४ नवम्बर, २००२
विनीत चेतमप्रकाश पाटनी
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