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आराधनासार - २१५
गाथा
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गाथा
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जाम ण गथं छंडइ जाम ण सिढिलायंति जाम वियप्पो कोई जाम ण हणइ कसाए जाव ण तवग्नि तत्तं जीवो भमइ भमिस्सइ जेसि हुंति जहण्णा जो खलु सुद्धो भावो जो णवि बुज्झइ अप्पा जो रयणत्तयमइओ ण गणेइ दुक्खसल्लं णद्वे मणवावारे णय मे अस्थि कवित्तं ण य अस्थि कोवि वाही
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१८०
१८
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तम्हा णाणीहि सया तम्हा दंसप णाणं तं सुगहियसण्णासे तेरह विहस्स चरणं तेसि भरणे मुक्खो दंसणणाणचरित्ता दुक्खाई अणेयाई देही वाहिरगंथो धण्णा ते भयवंता धण्णोसि तुमं सुज्जस पज्जयणयेण भणिया परिसहदवम्गितत्तो परिसहपरचक्कभिओ परिसहभडाण भीया परिसहसुहडेहि जिया परिहरिय रायदोसे पिच्छह णरय पत्तो बारहविहतवयरणे भावाणं सद्दहण भित्तूण रायदोसे भेधगया जा उत्ता मणकरहो धावतो मणणरवइणो मरणे मणणरवइ सुहुभुजइ
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११४ १०२
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णाणमयभावणाए
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१०६ १०४
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णाहं देहो ण मणो णिच्चो सुक्ख सहावो पिल्लूरह मणबच्छो णिहयकसाओ भव्चो णीसेसम्मणासे तणुमणवयणे सुण्यो तणुवयण रोहणेहि तत्तियमओ हु अप्पा तत्तोह तणुजोए
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