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स्मारक चतुष्टय
मज्जिगण बसवि ___ इस मन्दिर का आकार 32X19 फुट है । सम्भवतः किसी मज्जिगण नामक व्यक्ति ने इसका निर्माण कराया था। इसमें तीर्थंकर अनन्तनाथ की साढ़े तीन फुट ऊंची मूर्ति है। एरडकट्टे बसदि
इसका अर्थ है-उभयवेदिका मन्दिर । सीढ़ियों के दोनों ओर दो चबूतरे हैं। इसी कारण इस बसदि का यह नाम पड़ गया। इसका आकार 55X26 फुट है। इसमें तीर्थंकर आदिनाथ की प्रभावलि से अलंकृत 5 फुट ऊँची मूर्ति है। यहां पर उत्कीर्ण लेख (क्र० 160) के अनुसार, गंगराज सेनापति की भार्या लक्ष्मी ने इस बसदि का निर्माण कराया।
सवतिगन्धवारण बसदि
सतिगन्धवारण बसदि का अर्थ है-सौतों (सवति) के लिए मत्त हाथी। होयसल नरेश विष्णुवर्धन की रानी शान्तलदेवी का यह उपनाम है। मन्दिर विशाल है । आकार 69X35 फुट है। इसमें तीर्थंकर शान्तिनाथ की 5 फुट ऊंची मूर्ति है जिसके दोनों ओर चौरीवाहक हैं । शुकनासिका में यक्ष किम्पुरुष और यक्षिणी महामानसी चित्रित हैं । सिंहासन पर लेख (क्र० 161) शक संवत् 1144 का है । शान्तलदेवी के संबंध में पहले लिखा जा चुका है। तेरिन बसदि
सामने तेरु (रथ) के आकार का भवन है। आकार 70X26 फुट है । इसमें बाहुबली स्वामी की 5 फुट ऊँची मूर्ति है। सामने के नन्दीश्वर मन्दिर पर चारों
ओर 52 जिनमूर्तियां उत्कीर्ण हैं। इसके शक संवत् 1038 के लेख (क्र. 170) से ज्ञात होता है कि पोयसल सेठ की माता माचिकब्बे और नेमि सेठ की माता शान्तिकब्बे ने इसे बनवाया था।
शान्तीश्वर बसदि ___ इसका आकार 56X30 फुट का है। इसमें तीर्थंकर शान्तिनाथ की मूर्ति है । यक्ष-यक्षी हैं। गुम्मट पर कारीगरी है । मन्दिर कुछ ऊंची सतह पर बना है। कूगे ब्रह्मदेव स्तम्भ
चन्द्रगिरि पर्वत के घेरे के दक्षिणी दरवाजे पर प्रतिष्ठित यह एक विशाल